धोखे से मेरी रसीली चूत और कसी गांड को भोगा

Meri Chudai

Vidhwa Ki Chudai

ये मेरी जिन्दगी में घटी एक सच्ची घटना है। मैं उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले की रहने वाली हूँ। मैं शादी शुदा औरत थी। मेरे पति मुझको बहुत प्यार और मुहब्बत करते थे। मेरी सुगाहरात पर पति ने मुझे रगड़कर चोदा था। सुगाहरात के बाद मेरी जिन्दगी तो जैसे स्वर्ग बन गयी थी। Vidhwa Ki Chudai

रोज मेरे पति रात में मेरी चूत मारते थे और मुझे भरपूर मजा देते थे। २ साल तक मेरे पति ने मेरा खूब गेम बजाया और मुझे चोद चोदकर मेरी बुर फाड़ दी। मेरे एक लड़का पैदा हो गया। उसके बाद मेरे पति की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी। एक ट्रक वाले ने उनको ठोक दिया।

दोस्तों, पति के मरने के बाद सब लोग मेरी सास, ससुर, देवर देवरानी, जेठ जिठानी मुझसे सौतेला व्यवहार करने लगे। कोई मुझे खर्चे के लिए एक रुपया भी नही देता था। मुझ पर घोर मुसीबत आ गयी। मेरे देवर और जेठ के बच्चे अच्छे कान्वेंट स्कूल में पढ़ते थे.

और जब मैंने अपने बेटे के नाम उसी कान्वेंट स्कूल में लिखाने को कहा तो किसी ने एक रुपया नही दिया। सब से अपनी अपनी मजबूरियां दिखा दी। मेरी सास और ससुर मुझे ताने मारती की मैं उसके लड़के को खा गयी। उन्होंने कोई मदद नही की। मेरा बेटा अब ४ साल का हो गया था।

मजबूरी में मुझे उसका नाम सरकारी स्कूल में लिखवाना पड़ा जहाँ कोई फ़ीस नही लगती है। मैं वही पुरानी साड़ियाँ पहनने लगी। फिर धीरे धीरे मुझे समझ में आने लगा की ऐसे मेरी जिन्दगी तो कटेगी नही। मैंने एक प्राइवेट बैंक में क्लर्क की नौकरी कर ली।

मुझे १५ हजार महिना का मिलने लगा जिससे मेरी गुजर बसर होने लगी। मैंने अपने बेटे का नाम इंग्लिश कान्वेंट स्कूल में लिखवा दिया। बैंक में मेरे साथ बृजेश काम करता था। वो मुझे पसंद करता था और सायद मुझसे शादी करना चाहता था।

“रागिनी….मैं तुमसे प्यार करता हूँ और शादी करना चाहता हूँ” एक दिन बृजेश ने मुझसे कहा.

“क्या एक विधवा से तुम शादी करोगे। मेरे तो ५ साल का एक बेटा भी है” मैंने कहा.

“……करूँगा…क्यूकी मैं तुमसे सच्चा प्यार करता हूँ….अच्छे दिनों में तो कोई भी जीवनसाथी बन जाता है….पर मुसीबत में कोई साथ नही देना चाहता। रागिनी! मैं तुम्हारे मुस्किल सफर में तुम्हारा जीवनसाथी बनना चाहता हूँ” बृजेश बोला.

मैं मन ही मन सोचने लगी की कितना भला आदमी है, आजकल एक शादी शुदा और एक ५ साल के बच्चे वाली औरत से शादी कौन करता है। आजकल तो लड़के नई फ्रेश चूत मारना पसंद करते है। २ ३ साल की चुदी चुदाई बुर कौन चोदना चाहता है।

ये सब सोचकर मुझे बृजेश से गहरा प्यार हो गया और मैंने उससे शादी करने के फैसला कर लिया। बृजेश ने कहा की कुछ दिनों बाद उसकी माँ मुझे देखने आ जाएंगी, तब वो मुझसे मन्दिर में जाकर शादी कर लेगा। बृजेश की माँ के आने तक हम दोनों इंतजार करना था।

एक दिन शनिवार की शाम को जब हम दोनों का बैंक का काम खत्म हुआ तो बृजेश ने मुझे डिनर पर चलने के लिए कहा। मैं तो उससे गहरा प्यार करने की लगी थी, इसलिए मैं उसके साथ डिनर पर चली गयी। वो मुझे एक अच्छे और महंगे रेस्टोरेंट में ले गया।

वहां का खाना बहुत अच्छा था। जब खाना खाकर हम बाहर निकले तो बृजेश ने मुझे बाहों में भर लिया और किस करने लगा। मुझे भी ये सब बहुत अच्छा लग रहा था, क्यूंकि वो ही मेरा होने वाला पति था। हम दोनों ने एक दूसरे के रसीले होठ मजे लेकर चुसे और किस करते करते हम दोनों ही गर्म हो गये।

“रागिनी चूत दोगी???……बड़ा मन कर रहा है यार” बृजेश बोला.

मैं शर्मा गयी।

“पर अभी तो हम दोनों की शादी भी नही हुई है” मैंने कहा.

“तुम भी रागिनी कैसी पुराने जमाने की लड़कियों की तरह बात कर रहो हो। मेरी माँ तो २ महीने में यहाँ आने ही वाली है। शादी तो हम लोगो की हो ही जाएगी कुछ दिनों में। पर शादी के बाद के मजे तो हम दोनों अभी ही उठा सकते है” बृजेश हँसकर बोला।

शादी से पहले चुदवाना मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था। पर बृजेश मेरा होने वाला पति था, मैं उसकी बात कैसे टाल सकती थी। “ठीक है” मैंने कहा। बृजेश मुझे अपनी बाइक पर बिठाकर अपने फ्लैट में ले आया। उसने ac ऑन कर दिया। कुछ ही देर में जबरदस्त ठंडा ठंडा मौसम कमरे का हो गया। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.

हम दोनों पागल प्रेमी जोड़ो की तरह आपस में किस करने लगे। धीरे धीरे बृजेश ने अपना शर्ट पेंट और मेरी साड़ी निकाल दी, मेरा ब्लाउज भी उसने निकाल दिया। फिर मेरा पेटीकोट, ब्रा भी निकाल दी। बृजेश पूरी तरह से नंगा हो गया था।

उसके बड़े से १० इंची लौड़े को मैं साफ साफ देख सकती थी। हम दोनों बेड पर आ गये थे। वो मुझे कसकर चोदना चाहता था, और मैं भी उसको पसंद करने लगी थी इसलिए मैं भी उससे कसकर चुदवाना चाहती थी। वो मुझ पर लेट गया और मुझसे प्यार करने लगा।

हम दोनों एक दूसरे के रसीले होठ चूसने लगे। ac की ठंडी हवा मुझे बहुत सुकून पंहुचा रही थी। बृजेश मेरे रसीले होठ चूसने लगा और मुझे मजा देने लगा। वो बार बार मेरे नीचे वाले होठ चूसकर मुझे आनंदित कर रहा था और मजा दे रहा था। फिर वो मेरे मस्त मस्त मम्मो पर आ गया और मजे से मेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगा।

मुझे अजीब सा नशा छा रहा था। मेरे पति को मरे ३ साल हो गये थे। ३ साल में मुझे एक बार भी लंड खाने को नही मिला था। ये बात सच थी की मैं आज बृजेश से कसकर चुदवाना चाहती थी। वो मेरे मुलायम सफ़ेद संगमरमर दूध को मुंह में भरकर चूस रहा था, मुझे भी मजा दे रहा था और बृजेश अपना भी मजा ले रहा था।

“……आहहहह्ह्ह्ह… अई…अई……दबाओ!… दबाओ…..बृजेश बहुत मजा आ रहा है” मैंने कहा।

ये सुनकर तो मेरा होने वाला पति और तेज तेज मेरे मम्मो को हाथ में पकड़कर दबाने लगा और मुंह में लेकर चूसने लगा। मेरी तो जैसे जान ही निकली जा रही थी। “ओह्ह्ह्ह माँ… अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ…चूसो चूसो…..और चूसो…मेरे मम्मो को….अच्छे से चूसो” मैं बार बार बृजेश से कह रही थी

मेरी बृजेश से शादी २ महीने बाद होने वाली थी पर सुहागरात तो मैं आज ही मनाने जा रही थी। मेरा दिलबर, मेरा आशिक, मेरा यार और होने वाला पति बृजेश मेरी दोनों निपल्स को मुंह में लेकर मजे से चूस रहा था। जैसे मेरे दूध शहद की तरह मीठे हो, वो इस तरह से चूस रहा था।

मेरी चूचियां का साइज ३८” का था, बहुत नर्म और मुलायम चूचियां थी मेरी। इसलिए बृजेश को मेरी चूचियां पीने में बहुत मजा आ रहा था। करीब १ घंटे तक उसने मेरे रसीले होठ पिए और चूचियां को मुंह में लेकर चूसा और भरपूर मजा लिया।

फिर वो मेरी चूत पर आ गया। मेरी पेंटी उसने अभी नही निकाली थी। बृजेश मेरी गुलाबी रंग की पेंटी को उपर से ही चाटने लगा और मजा लेने लगा। उसकी जीभ मेरे चूत के ठीक उपर थी। बार बार वो किसी कुत्ते की तरह मेरी चूत को जल्दी जल्दी चाट रहा था और रसीला बना रहा था।

करीब २० मिनट तक बृजेश ने मेरी पेंटी को उपर से ही चाटा। अब तो मैं बेकाबू हो गयी थी। बृजेश ने मेरी पेंटी निकाल दी, अब मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी और चुदवाने को तैयार थी। बृजेश फिर से मेरी बुर पीने लगा और उसमे जल्दी जल्दी ऊँगली डालने लगा। “Vidhwa Ki Chudai”

“…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी…. ऊँ..ऊँ…ऊँ” मैं आवाज निकालने लगी। फिर बृजेश ने अपना १० इंची लौड़ा मेरे भोसड़े में डाल दिया और मुझे गपागप चोदने लगा। मैंने भी अपनी गोरी और सफ़ेद चिकनी जांघ खोल दी और मजे से चुदवाने लगी।

बृजेश बहुत तेज तेज मेरी चूत में धक्के मारने लगा। मुझे लगा की कहीं मैं मर जा जाऊं, पर दोस्तों मजा बहुत मिल रहा था। “उ उ ….अअअअअ आआआआ… सी सी …. ऊँ..ऊ.. फक माय पुसी!!…..फक इट रियली हार्ड!!” मैं किसी चुदासी कुतिया की तरह चिल्लाने लगी।

बृजेश मेरी फुद्दी को तेज तेज चोदने लगा, धीरे धीरे उसका पॉवर बढ़ता जा रहा था। फिर वो मुझ पर लेट गया और मेरे रसीले होठ पीते पीते वो मुझे चोदने लगा। मैं तो जैसे चाँद तारो के बीच उड़ रही थी। सच में बृजेश में गजब का सेक्स पॉवर था।

उसका स्टैमिना काफी अच्छा था, अभी २० मिनट से वो मुझे चोद रहा था, पर अब तक आउट नही हुआ था। कुछ देर बाद मैं भी अपनी कमर और चिकने चुतड़ उठा उठाकर मजे से चुदवाने लगी। फिर बृजेश फिर से मेरे मम्मो को मुंह में लेकर किसी बच्चे की तरह चूसने लगा और मुझे घपाघप चोदने लगा। “Vidhwa Ki Chudai”

पुरे ४० मिनट बाद उसने अपना माल मेरे भोसड़े में ही छोड़ दिया। मेरी फुद्दी कायदे से चुद चुकी थी। आज मेरे होने वाले पति ने मुझे कसकर चोद लिया था। उसके बाद वो मुझपर लेट गया और हम दोनों किस करने लगे। रात के १० बज चुके थे।

“बृजेश, मुझे छोड़ो जाना होगा” मैंने कहा और बृजेश का हाथ छुडाने लगी.

“रुको ना जान……अब तो रात हो गयी है तुमको बस भी नही मिलेगी, कहाँ जाओगी” बृजेश बोला.

तो मैं उसके फ्लैट पर ही रुक गयी। पूरी रात बृजेश मुझे पोज बदल बदलकर चोदता रहा। कभी मुझे कुतिया बनाकर चोदता कभी कमर पर बिठाकर पेलता। सुबह होने तक बृजेश ने मुझे ५ बार तरह तरह के पोज बदलकर ठोंका। मुझे भी बहुत मजा आया। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.

धीरे धीरे मेरा भी रोज चुदवाने के दिल करने लगा। शाम को ५ बजे हमारी बैंक बंद हो जाती। उसके बाद बृजेश मुझे किसी अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खिलाने ले जाता, फिर उसके फ्लैट पर पहुचकर मैं खुलकर चुदाई का मजा लेती। बृजेश मेरी गांड भी जरुर मारता। धीरे धीरे 4 महीना गुजर गया और बृजेश की माँ नही आई। मैं परेशान थी। “Vidhwa Ki Chudai”

“बृजेश तुम तो कह रहे थे की तुम्हारी माँ २ महीने में आ जाएंगी पर यहाँ तो ४ महिना गुजर गया है। तुम्हारा माँ क्यों नही आई” मैंने सवाल किया.

वो थोड़ा घबरा गया था। उसके माथे पर पसीना छूट गया था।

“वो वो वो…मैंने कल माँ से फोन पर बात की थी, माँ बस अगले हफ्ते आने ही वाली है” बृजेश बोला।

मुझे हल्का हल्का शक हो रहा था की वो जूठ बोल रहा है। पर मुझे उस पर पूरा विश्वास था। आज शाम को फिर से बैक बंद होने के बाद उसके साथ उसके फ्लैट पर गयी। आज उसका मेरी गांड मारने के बड़ा दिल था। वो चूत तो वो हजार बार चोद चुका था। पर आजतक उसने मेरी गांड नही मारी थी। बृजेश ने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया।

“रागिनी जान….आज मुझे अपनी गांड दे दो” बृजेश मनुहार करता हुआ बोला.

“नही……बहुत दर्द होता है गांड मरवाने में” मैंने कहा.

“प्लीस जान…..प्लीस आई लव यू सो मच…प्लीस!!” बृजेश मनुहार करता हुआ बोला.

वो मेरा होने वाला पति था, कुछ दिनों में मैं उससे शादी करने वाली थी, मेरे लड़के को वो अपना बाप का दर्जा देने जा रहा था, इसलिए मैं उसका दिल तोड़ ना सकी। मैं कुतिया बन गयी। बृजेश बड़ी देर तक मेरी गांड को अपनी जीभ से चाट चाटकर मजा लेता रहा।

मेरी चूत भी वो साथ ही साथ पी रहा था। मुझे भी इसमें बहुत मजा मिल रहा था। मेरी गांड आज भी कुवारी थी। क्यूंकि मेरे स्वर्गीय पति हमेशा मेरी चूत मारते थे, वो गांड मारने के शौक़ीन नही थे। बृजेश बड़ी देर तक मेरी बुर और गांड चाटता और पीता रहा और मजा लेता रहा। “Vidhwa Ki Chudai”

फिर उसने अपने १० इंची मोटे लौड़े में ढेर सारा तेल लगा लिया और मेरी गांड के छेद पर लंड रखकर बड़ी जोर से मारा। दोस्तों, मुझे बहुत दर्द हुआ क्यूंकि आज पहली बार मैं अपनी गांड मरवा रही थी। “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” मैं जोर से चिल्लाई।

बृजेश का मोटा लंड किसी मोटे खूटे की तरह मेरी गांड में बहुत अंदर तक १० इंच की गहराई तक अंदर घुस गया था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था, पर मैं फिर भी बर्दास्त कर रही थी। धीरे धीरे बृजेश पीछे से किसी कुत्ते की तरह मेरी गांड चोदने लगा।

मुझे दर्द हो रहा था, मैं चिल्ला रही थी, पर बृजेश की खुसी के लिए मैं अपनी कसी और कुवारी गांड चुदवा रही थी। फिर वो अपनी रफ्तार बढाने लगा और तेज तेज मेरी गांड चोदने लगा। मुझे दर्द और मजा एक साथ महसूस हो रहा था।

बृजेश जल्दी जल्दी अपनी कमर मटकाकर मेरी गांड चोदने लगा। कम से कम आधे घंटे बाद मुझे मजा मिलने लगा। उसके बाद तो बड़े मस्त मस्त फटकेबृजेश ने अपने १०” लम्बे लंड से मारे की मजा ही आ गया। उसने मेरी बाल अपने हाथ में लपेट लिए और कस कसकर चोदने लगा। “Vidhwa Ki Chudai”

“……मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” मैं इस तरह तेज तेज चिल्ला रही थी। मेरी कराहने की आवाज तो बृजेश को और जादा कामातुर बना रही थी। उसने मेरे खोले और काले घने बाल को अपने हाथ में लपेट रखा था और गचागच मेरी गांड चोद रहा था।

“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” करके मैं चिल्ला रही थी। उस रात बृजेश ने मेरी गांड पुरे २ घंटे चोदी और मुझे भरपूर मजा दिया। रात १२ बजे मैं घर पहुची। “मम्मी तुम कहाँ गयी थी???” मेरा ५ साल का बेटा पूछने लगा।

अब अपने बेटे को क्या बताती की उसके होने वाले पापा से चुदवाकर आई हूँ। मैंने अपने बेटे को चोकलेट दी। दोस्तों इस तरह बृजेश ने मुझे पूरा ६ महिना कसकर चोद लिया और मेरी गांड भी मार ली। एक दिन मुझे बृजेश पर बहुत गुस्सा आ गया।

“बृजेश तुम्हारी माँ कब आएगी?? साफ साफ़ बताओ” मैं चिल्लाकर पूछा.

“…….तो सुन माँ कभी नही आएगी। क्यूंकि मेरी शादी बहुत साल पहले ही हो चुकी है” बृजेश बोला.

“….और जो तुमसे मुझसे शादी का वादा किया था???? उसका क्या???” मैंने पूछा.

“….वो नाटक तो मैंने तेरी बुर चोदने के लिए किया था। मैं तो सिर्फ मेरी मस्त मस्त चूत का भोग लगाना चाहता था। तुझ जैसी जूठन से कौन शादी करेगा” बृजेश बोला उसके बाद उसने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया। पुरे ६ महीने तक उसमे मेरी रसीली चूत और कसी गांड का भोग लगाया।

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