पिछला भाग पढ़े:- सासू मां की चुदाई-1
जब मैंने होटल जाने की बात की, तब मेरी सास थोड़ी डर गई, और उन्होंने कहा-
सास: ठीक है, मैं अपना पल्लू हटा लेती हूं। लेकिन आप सिर्फ उसे देखेंगे, और कुछ नहीं करेंगे। क्योंकि पाप है यह।
तब मैंने कहा: ठीक है, जल्दी से पल्लू हटा लीजिए। मेरा सामान बहुत गर्म हो गया है।
मेरी सास ने पल्लू हटाया, और मुझे देखने लगी।
तब मैंने उनसे कहा: ब्लाउज तो खोल दीजिए।
तब उन्होंने कहा: नहीं-नहीं, यह हो नहीं सकता।
मैंने कहा: या तो ऊपर के तीन बटन खोल दीजिए, या तो मैं चला।
तब मेरी सास ने चार गालियां देते हुए, मुझे गुस्से से देखते हुए एक-एक करके अपने ब्लाउज के ऊपर के तीन बटन खोल दिए।
झट से मैंने अपनी शॉर्ट्स उतार दी। तब मेरी सास ने दूसरी तरफ अपना मुंह कर दिया। शर्ट उतारने के बाद मैंने उनकी गोद में अपना सर रख दिया, और उनके बूब्स को देखते हुए अपना लंड सहलाने लगा। पता नहीं आज मेरे लंड में बहुत खुजली हो रही थी।
मैं अपने एक हाथ से अपना लंड सहला रहा था, और दूसरा हाथ मेरी सास के बूब्स की तरफ बढ़ गया, और उन्हें मैंने दबा दिया।
मेरी सास अचानक से बोली: यह क्या कर रहे हो? बात तो हमारी देखने की हुई है। यह गलत है।
तब मैंने उनसे कहा: थोड़ा सा सहलाने दीजिए, दबाने दीजिए, तब पानी जल्द से जल्द निकल जाएगा।
तब उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है, लेकिन जल्दी करो।
फिर मैंने उनसे कहा: अब तीन बटन खोल दिए हैं,
तो चौथा भी खोल दो, और इन पंछियों को आजाद कर दो।
तब उन्होंने कहा: प्लीज ऐसा मत कीजिए।
फिर मैंने अपने हाथों से ही उनका चौथा बटन खोल दिया चौथे बटन के खुलते ही दोनों बूब्स तेजी से नीचे गिर गए, और लटकने लगे। मेरी सास ने उसे वक्त चार गालियां देदी मुझे, लेकिन वह मजबूर थी। मैं उनके दोनों बूब्स को दबा रहा था, और निप्पल के आस-पास अपनी उंगलियां फेर रहा था।
तब मुझे पता चला मेरी सास आंखे बंद करके सिसकियां ले रही थी। मैंने सोचा शायद मेरी सास भी गरम होना शुरू हो गई थी। तब मैंने अपने मुंह को उनके निप्पल से जोड़ दिया, और चूसने लगा। एक हाथ से उनका एक बूब दबा रहा था। दूसरे बूब का निप्पल चूस रहा था। मेरी सास ने आहे लेते हुए कहा-
सास: जल्दी पानी निकाल दो, मुझे सोने जाना है।
तब मैंने उनसे कहा: रुकिये ना, अभी तो मजा आना शुरू हुआ है।
तब मैंने अपनी सास से कहा: आप कब तक ऐसे बैठी रहेंगी। आप एक कम कीजिए, आप यहां लेट जाइए। मैं आपके निप्पल को चूसते हुए अपना पानी निकाल दूंगा।
उन्होंने वैसा ही किया। मैंने उनके निप्पल चूसते-चूसते उनके पैरों पर हाथ रख दिया, और धीरे-धीरे उनकी साड़ी ऊपर करने लगा। वह आहें ले रही थी, लेकिन उनकी साड़ी जांघों तक आ गई। तब जाकर उन्हें पता चला।
उन्होंने कहा: यह क्या कर रहे हो? यह सब मत करो।
मैंने कहा: मैं कुछ नहीं करूंगा, बस हाथ ही फिरा रहा हूं ताकि पानी जल्द से जल्द निकल जाए।
तब उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा, और चुप-चाप पड़ी रही। मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी जांघों के ऊपर कर ली। अब मेरा हाथ उनके दोनों जांघों के बीच में यहां से वहां चल रहा था, और अचानक मुझे जांघों के पास कुछ चिपचिपा सा पानी महसूस हुआ। मैं समझ गया मेरी सास की चूत से पानी रिसना शुरू हो गया था। मैं समझ गया लोहा गरम था, तो हथोड़ा मारना ही होगा। तब मैंने मेरी सास से कहा-
मैं: सासू मां, मेरा पानी तो निकल नहीं रहा है। एक कम कीजिए, मुझे आपकी चूत के दर्शन करवाइए। कम से कम वह देखने के बाद मेरा पानी निकल जाएगा।
मेरी सास ने डरते हुए मुझे यह कहा: नहीं-नहीं यह तो बहुत बड़ा पाप है। यह नहीं हो सकता, नहीं हो सकता।
तब मैंने कहा: सासू मां मुझे सिर्फ आपकी चूत के दर्शन करने हैं। उसे चोदना नहीं है। अब इतना कुछ हो चुका है कि अब चूत के दर्शन भी हो जाएंगे तो कुछ गलत नहीं है। सिर्फ देखना है मुझे।
तो उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है देख लो। लेकिन तुम्हें मेरी बेटी की कसम है तुम उसके आगे कुछ नहीं करोगे।
मैंने कहा: ठीक है।
तब मैंने उनसे कहा: थोड़ी सी कमर उठा लीजिए, ताकि आपकी साड़ी को ऊपर कर सकूं।
तब उन्होंने अपनी कमर उठा ली। मैं झट से उनकी साड़ी उनके पेट तक ले गया। वैसे एक बात बता दूं, गांव की बूढ़ी औरतें पैंटी नहीं पहनती है, और इन्होंने भी नहीं पहनी थी। उनकी चूत मुझे नजर नहीं आ रही थी, क्योंकि पूरी चूत झांटो से भरी पड़ी थी। मैंने अपनी सास से कहा-
मैं: क्या आप अपनी झांट कभी निकालती नहीं?
तब उन्होंने कहा: किसके लिए निकालूं? तुम्हारे ससुर जी थे तब तक ठीक था। लेकिन उनके जीते जी ही वह मेरे पास नहीं आते थे। उनका एक्सीडेंट होने के बाद उनमें कभी सेक्स के प्रति इंटरेस्ट नहीं रहा। मुझे भी सेक्स की जरूरत नहीं है। मैं अपने भगवान का नाम लेकर अपनी जिंदगी निकाल सकती हूं।
तब मैंने कहा: सासू मां आपकी चूत तो दिखाई नहीं दे रही है। अब क्या करूं?
तब उन्होंने कहा: अब जो भी है, जैसी भी है, यही है।
तब मैंने उनसे कहा: मुझे थोड़ा नजदीक आकर देखना पड़ेगा।
तब उन्होंने कहा: नहीं दूर से ही देखो।
मैंने कहा: नहीं दिख रही, प्लीज एक बार नजदीक आकर मुझे देखने दो।
तब उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है।
फिर मैं उनकी दोनों जांघों की बीच आकर उनकी चूत के दर्शन करने लगा। जैसे ही मैं उनकी चूत के करीब गया, मुझे एक भीनी-भीनी से खुशबू आने लगी, जिससे मैं और भी पागल हो गया।
मैं अपने उंगलियों से उनकी झांटो के बीच में जाकर उनकी चूत को टटोलने लगा। वह मादक खुशबू मेरे सर पर चढ़ कर बातें करने लगी। ना जाने कब मेरी जुबान बाहर आई और उनकी चूत की फांकों के बीच चल गई।
इससे आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको यह तक की कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे।