पिछला भाग पढ़े:- मेरी भाभी के भाई ने मेरी गांड मारी
हैलो दोस्तों। मैं आपका प्यारा दिशांत उर्फ दिशा। आप सभी ने मेरी पहली कहानी को काफी प्यार दिया। आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आई इसके लिए आप सभी का शुक्रिया। मुझे आप में से कई लोगों के मेल प्राप्त हुए। इसलिए मैं आज आगे की कहानी लिखने जा रही हूं।
मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और लड़कियों की तरह रहने का शौक है। कैसे मेरी भाभी के भाई नितिन ने मुझे उसकी बीवी के कपड़े पहने हुए और गांड में फिंगरिंग करते हुए पकड़ा, और उसके बाद मेरी गांड मारी। अब आगे पढ़े।
गांड चुदाई के बाद हम दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ही लेटे थे। थोड़ी देर बाद मैंने टाइम देखा तो दोपहर के 3 बजने वाले थे। नितिन की आंख लग गई थी, पर उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था। मुझे भूख भी लग रही थी, तो मैंने खुद को नितिन से छुड़ाया। ऐसे में मेरी चूड़ियों की आवाज़ से नितिन भी उठ गया।
नितिन: कहां जा रही है मेरी रानी?
दिशा: खाना बनाने। आपको भूख नहीं लग रही? मुझे तो बहुत भूख लग रही है।
नितिन: मेरी भूख तो तेरी गांड मार कर ही मिट गई मेरी जान।
दिशा (हंसते हुए): गांड मारने से लंड की भूख मिटती है मेरे राजा, पेट की नहीं।
ये सुनते ही नितिन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उसके ऊपर जा गिरी। नितिन मेरे लिप्स चूसने लग पड़ा। मैंने भी इसमें उसका पूरा साथ दिया। करीब 2-3 मिनट की किसिंग के बाद मैंने खुद को उससे छुड़ाया और बेड से उठ कर अलमारी में लगे आईने में खुद को देखने लगी।
सेक्स के दौरान नितिन ने सिर्फ मेरी सलवार और पैंटी ही उतारी थी। ब्रा-कमीज़ और बाकी सब गहने मेरे शरीर पर थे। चेहरे का मेकअप खराब हो चुका था। मेरे होंठो की गहरी लाल लिपिस्टिक अब फीकी पड़ चुकी थी, और थोड़ी फैल चुकी थी। जो इस बात की गवाही देने के लिए काफी थी कि मैं किसी मर्द का बिस्तर गर्म करके आई थी।
थोड़ी कमी खल रही थी तो वो थे मेरे बाल। छोटे बालों में भी कोई बुराई नहीं थी। क्योंकि हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में औरतें सिर पर ढाठू बांधती हैं। ढाठू औरतों के सिर पर बांधने के लिए दुप्पटे की तरह का एक कपड़ा होता है। जो पारंपरिक पोशाक या सूट-सलवार-कमीज़ के साथ चांद लगा देता है। सूट के साथ तो मैं दुपट्टे को ढाठू की तरह बांध सकती थी, जिससे मेरे छोटे बालों की के थोड़ी कमी भी दूर हो जाती।
मगर जैसा आपने पिछली कहानी में पढ़ा कि नितिन ने रात को साड़ी पहनने और उसकी बीवी आरती बनने की इच्छा जताई थी। और साड़ी के साथ ढाठू नहीं बांधा जा सकता और छोटे बाल भी मुझे पूरी आरती नहीं बना सकते थे। साड़ी के साथ तो लंबे बाल ही अच्छे लगते हैं। लंबे घने खुले बाल या फिर घने बालों का गोल जूड़ा साड़ी पहनी औरत की खूबसूरती को चार चांद लगा देता है।
मैंने मुड़ कर नितिन को देखा। वो अभी भी बेड पर नंगा ही लेटा था। मैंने उसको पूरा पत्नी की तरह हक जताते हुए बोला कि मुझे एक लंबे बालों वाली विग चाहिए तभी मैं साड़ी पहनूंगी और आरती बनूंगी।
नितिन मुस्कुरा कर बोला: तो इसमें नाराज क्यों हो रही है मेरी जान? अभी बहुत टाइम है। थोड़ी देर बाद मार्केट से चल कर ले आएंगे।
दिशा: नहीं, मैं नहीं जाऊंगी। आप ही ले आना। मेरा अब ये चूड़ियां, पायल और बाकी सब उतारने का मन नहीं है। मैं नहीं जा पाऊंगी।
नितिन: ओके बाबा, मैं ही ले आऊंगा। अब तुम जल्दी से खाना बना दो। भूख लग रही है। फिर 5 बजे तक जाता हूं मैं मार्केट। विग के अलावा और भी कुछ लाना हो तो तब तक सोच लो।
मैंने अपने इयररिंग्स निकाले और बेड से अपनी सलवार और पैंटी उठाई। फटाफट बाथरूम में नहाने चली गई। बाथरूम में सबसे पहले नंगी होकर अपनी गांड साफ की। क्योंकि नितिन ने अपना माल गांड में ही छोड़ दिया था। जिसकी वजह से गांड बहुत चिपचिपी हो गई थी। उसके बाद मैं अच्छी तरह से नहाई और फिर ब्रा-पैंटी और सलवार-कमीज पहन कर बाथरूम से बाहर आ गई।
बाहर आकर मैंने 5-10 मिनट थोड़ा मेकअप किया। लिपिस्टिक, काजल, बिंदी आदि लगाई। इयररिंग्स पहने। हाथों में चूड़ियां तो पहले से ही थी। उसके बाद सिर पर दुपट्टे को ढाठू की तरह बांध लिया। अब मैं पूरी औरत बन कर तैयार थी।
मैंने टाइम देखा। पौने चार बजे चुके थे। मैंने नितिन को नहाने को बोला और खुद किचन में खाना बनाने चली गई। मैं पुलाव बनाने लगी। करीब 10 मिनट में नितिन नहा कर नंगा ही किचन में आ गया और मुझे छेड़ने लगा। मुझे पीछे से पकड़ कर अपना खड़ा लंड मेरी गांड में रगड़ने लगा।
मैंने नितिन को जबर्दस्ती वहां से बाहर निकाला और कपड़े पहन कर बाहर ही वेट करने को बोला। फिर थोड़ी देर में पुलाव भी बन गया। फिर मैंने दो प्लेट में पुलाव निकाला और बाहर हॉल में ही ले गई जहां नितिन बैठा था। हम दोनों ने वहीं बैठ कर खाना खाया। साथ में इधर-उधर की बातें की। फिर 5 बजने की वाले थे। तो मैंने नितिन को मार्केट जाने को बोला।
नितिन मार्केट के लिए निकला। मैंने उसे विग के साथ-साथ एक मंगलसूत्र, दुल्हन वाला चूड़ा, अपने लिए एक थोड़ी ऊंची हील्स वाली सैंडल (क्योंकि उसकी बीवी की सैंडल मुझे छोटी हो रही थी) भी मंगवा लिए।
नितिन बाहर से ही दरवाजा लॉक करके चला गया। नितिन के जाने के बाद मैंने फटाफट खाने के बर्तन धोए। और बिस्तर को साफ और ठीक किया। क्योंकि मेरी गांड चुदाई के बाद पूरी बेडशीट उथल-पुथल हो गई थी।
फिर मैं हाथों-पांवों में नेल पेंट लगाने की लगाने लगी। मैंने दोनों हाथ-पांवों में लाल रंग की नेल पेंट लगाई। इन्हीं सब में शाम के 6 बज गए। नितिन को मार्केट गए हुए भी एक घंटा हो गया था। तो थोड़े टाइम में वो भी आने वाला था। रात भी होने को थी तो मैंने भी अब रात के लिए तैयार होने की सोची।
मैं अलमारी में साड़ी ढूंढने लगी। वहां पर आरती भाभी की तीन ही साड़ियां मुझे मिली। एक लाल, एक पिंक व एक हल्के भूरे रंग की। मुझे लाल रंग सबसे ज़्यादा पसंद है तो मैंने लाल साड़ी ही पहनने की सोची। मैंने साड़ी और उसके साथ का लाल रंग का ही ब्लाउज़ और पेटिकोट निकाल कर बैड पर रख दिया।
तभी मेरे दिमाग में सब कुछ लाल रंग का ही पहनने का ख्याल आया। अभी मैंने अंदर काले रंग की ब्रा-पैंटी पहन रखी थी, इसलिए मैं अलमारी में लाल रंग की ब्रा-पैंटी ढूंढने लगी। जो मुझे मिल भी गयी। मैंने उन्हें भी निकाल कर साड़ी के साथ रख लिया।
मेकअप तो मैंने अभी 2 घंटे पहले ही किया था, और खराब भी नहीं हुआ था। लिपिस्टिक भी लाल रंग की ही लगाई थी, जो बिल्कुल साड़ी के रंग के साथ मैच कर रही थी। तो ऐसे में दोबारा मेकअप करने की मेहनत क्यों करनी।
मैंने सबसे पहले सिर में बांधा दुप्पटा खोला। फिर मैंने अपने इयररिंग्स निकाले, क्योंकि सूट उतारते समय इयररिंग्स के फंसने और टूटने का खतरा रहता है। उसके बाद मैंने सलवार कमीज दोनों उतार दिए। अब मैं केवल ब्रा और पैंटी में थी। काले रंग ब्रा-पैंटी में मेरी बॉडी कहर ढा रही थी।
मैं खुद को आइने में निहार ही रही थी। कि तभी मुझे ख्याल आया कि अभी तक नितिन ने तो मुझे इस रूप में देखा ही नहीं है। दोपहर में तो उन्होंने सिर्फ मेरी सलवार और पैंटी उतार के मेरी गांड में लंड पेल दिया था।
हमारी सुहागरात तो अभी कुछ घंटे बाद होने वाली थी। जब मैं ना सिर्फ ब्रा-पैंटी में बल्कि पूरी नंगी होकर उनका बिस्तर गर्म करने वाली थी। ये सोच कर ही मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया।
थोड़ी देर मैं ऐसे ही ख्यालों में खोई रही। फिर ब्रा-पैंटी भी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी हो चुकी थी। चेहरे पर मेकअप, हाथों में चूड़ियां, पांव में पायल। ऐसा लग रहा था जैसे कोई शादी-शुदा औरत कपड़े बदलने के लिए नंगी हुई हो।
बस कमी थी तो एक चूत की। चूत की जगह मेरा लंड मुरझा कर लटका हुआ था। मेरा लंड वैसे किसी सामान्य लड़के के लंड की तरह ही है। लंबाई 6 इंच है। सेक्स के दौरान खड़ा भी होता है। टाइमिंग भी ठीक है। अभी मुरझाया हुआ लटका पड़ा था। फिर भी लम्बाई करीब 3 इंच थी।
मुझे खुद को आईने में ऐसे देखते हुए अपने मासूम लंड पर दया आ रही थी। कहां मुझे अपने लंड को मस्त हसीनाओं के चूत की सैर करवानी चाहिए थी, और मैं खुद हसीना बन कर नितिन के लंड को दूसरी बार अपनी गांड की सैर करवाने वाली थी।
इन्हीं सब में 6:30 बज गए। मैं फटाफट टॉयलेट करने के लिए वाशरूम गई। क्योंकि फिर साड़ी पहनने के बाद टॉयलेट करने में काफी मेहनत करनी पड़ती। मैं बिल्कुल नंगी थी, इसलिए फटाफट टॉयलेट करके आ गई।
फिर जल्दी से मैंने पैंटी पहनी। पैंटी बहुत सेक्सी थी। लाल रंग, पिछले गांड से थोड़ी पतली थी। बाहर की साइड से हल्की जालीदार थी। कपड़ा बहुत सॉफ्ट था। फिर मैंने अपने मुरझाए हुए लंड को ढंग से पैंटी में सेट किया, ताकि उसका उभार कम से कम दिखे।
फिर मैंने ब्रा भी पहन ली। ब्रा का कपड़ा भी बाहर की साइड से जालीदार था। ब्रा पैड वाली थी तो बूब्स का थोड़ा उभार तो ब्रा से ही आ गया। पर अच्छे फिगर और ब्लाउज की फिटिंग के लिए मैंने ब्रा के अंदर सॉक्स डाल ली। जिससे मेरे बूब्स 32 साइज के हो गए।
फिर मैंने ब्लाउज पहना। ब्लाउज़ के हुक लगाने के लिए मुझे थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी। ब्लाउज़ काफी ज़्यादा बैकलेस था। इस वजह से उसमें केवल 5 हुक ही थे। पर इन्हीं को लगाने में मुझे 4-5 मिनट लग गए। ब्लाउज पूरा स्लीवलेस तो नहीं था, पर स्लीव्स ज़्यादा बड़े भी नहीं थे। तो मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
ब्लाउज मुझे पूरा-पूरा फिट ही आ रहा था। ब्रा के अंदर सॉक्स डालने की वजह से जरा भी ढीलापन नहीं था। ब्लाउज पूरा मेरी बॉडी से चिपका हुआ था। ये एहसास मुझे पागल कर रहा था।
फिर मैंने फटाफट पेटीकोट बांधा और साड़ी पहनने लगी। साड़ी पहनना मुझे आता था। इसलिए मुझे साड़ी पहनने में ज़्यादा टाइम नहीं लगा। मैंने 5-7 मिनट में ही अच्छे से और थोड़े सेक्सी तरीके से साड़ी बांध ली। अब मैं लगभग तैयार ही थी।
मैंने अपने इयररिंग्स पहने और लिपस्टिक थोड़ी ओर डार्क कर ली। पहले मैंने छोटी सी बिंदी लगा रखी थी। तो मैंने वो निकालकर थोड़ी सी बड़ी बिंदी लगा ली।
मैंने टाइम देखा तो 7 बज चुके थे। अब नितिन भी शायद आने ही वाला था। बाकी विग और सैंडल तो वही लाने वाला था। अब मेरे पास कुछ और करने को नहीं था।
रात के खाने का तो मैंने पहले सोच लिया था कि ऑनलाइन आर्डर कर देंगे। इसलिए मैं बाहर हॉल में टीवी देखने बैठ गई, और नितिन का इंतजार करने लगी। अब मैं नितिन की आरती बनने के लिए पूरी तरह तैयार थी।
नितिन ने मार्केट से लौटने के बाद मेरे साथ क्या-क्या किया। ये मैं आपको कहानी के अगले पार्ट में बताऊंगी। क्योंकि ये पार्ट बहुत लंबा हो चुका है।
उम्मीद करती हूं कि जितना प्यार आपने मेरी कहानी के पहले पार्ट को दिया। इसे आप उससे ज़्यादा प्यार देंगे। अगर आपको मेरी कहानी पसन्द आ रही है तो आप कमेंट करके भी बता सकते हैं। और मुझे मेल भी कर सकते हैं। अगर आप चाहते है कि मैं कहानी का अगला पार्ट लिखूं तो भी मुझे मेल करके बताएं। और यदि आप मुझसे बात करना चाहते हैं तो भी मुझे मेल कर सकते हैं। या गूगल चैट पर मुझे मैसेज कर सकते हैं। मुझे जो भी मेल या मैसेज आता है मैं सबका रिप्लाई करती हूं।
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