(बाप बेटी की मीठी और सेक्सी कहानी 4)
इस मीठी और सेक्सी कहानी में आपका स्वागत है, मैं हूं पूजा और आज आपके लिए फिर एक बार अपनी बढ़ती चाहत और इच्छाओं को लेकर आ गई हूं। मेरी दीवानगी जो मेरे बाप के लिए बढ़ रही थीं आज मैं खुल कर अपने अंदाज़ में बताऊंगी।
मैं अपने कमरे से चहकते हुए बाहर निकल कर हॉल रूम में आई तो पापा मुझे वहां नहीं दिखे शायद वो किचन में थें क्योंकि मुझे बर्तनों की आवाज़ें आ रहीं थीं, मेरी बेचैनी बढ़ गई और मैं आहिस्ता से किचन के तरफ आई और दरवाज़े से टिक कर अंदर झांक कर देखा तोह पापा कुछ बनाने में मशरूफ नज़र आ रहे थे, जिसकी खुशबू मेरे नाक तक पहुंच रहीं थीं।
मैं अपनी ललचाई नज़रों से पापा को ऊपर से नीचे तक देखने लगी, जो आज कुछ ज़्यादा ही हसीन लग रहे थें, उन्होंने एक सफेद रंग की शर्ट अपनी गठीले जिस्म पर पहन रखी थी, और साथ में काले रंग की फॉर्मल पैंट। मेरे बदन में एकाएक सिहरन सी दौड़ गई, उन्हें इस कदर देख कर।
उनकी शर्ट की बाजू कोहनी तक मोड़ी हुई थी, जिसमे उनकी कसी हुई कलाई मेरे दिल दिमाग, जिस्म में अजीब सी हसरतों को जगा रहा था, मैं हवास भरी निगाहों से अपने पापा को देखने लगी और इधर मेरे चूत में झनझनाहट होने लगी थीं, जैसे किसी ने वहां के तार को छेड़ दिया हो। अब उस उम्र में ये होना जायज बात थी, मेरा कंट्रोल खो रहा था, जिस कारण मेरा हांथ अनायास ही मेरे मोटे बूब्स पर चला गया और मैंने हांथ फिराना शुरू कर दिया, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरी चूत धीरे धीरे गीली हो रही हैं, मैंने स्कर्ट को जांघ थक मोड़ दिया था और मेरे आकर्षक जांघ नजर आ रहें थें।
पापा इतने मशरूफ थें कि उन्हें अहसास तक नही हुआ कि मैं उन्हें पीछे से देख रही थीं और वो अपने काम में लगे रहे, तभी घर की डोर बेल एकाएक बज उठी और मैं हड़बड़ा कर दरवाज़े से हटने को हुई लेकिन तब तक बात हांथ से निकल गई थी और पापा पलट चुके थें, उनकी नज़र सीधे मेरे ऊपर गई, और उनकी आंखें मेरे चेहरे पर न जा कर हाथों की ओर गई, जो इस वक्त मेरे बूब्स पर अटके थें, और कमल की बात तोह ये हो गई थी कि मैंने शर्ट के कुछ चार बटन को उस दौरान खोल दिया था
जिससे ब्रा दिख रही थीं और मेरी उभार उन ब्रा से निखार कर सामने आ गई थीं। मैं एकदम से पीछे पलट गई और वहां से तुरंत भागते हुए हॉल रूम में आ पहुंची, मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था, मेरे लिए वो बहुत ही बड़ा वाला awkward मोमेंट बन गया था। मैं यकीनन पापा को लुभाना चाहती थीं अपने अंग दिख कर लेकिन शायद वो समय सही नहीं था। मेरा प्लान जो मैंने सोचा था वो भले ही फैल न हुआ हो, पर बेइरादा से ही सही उनका ध्यान मेरे बूब्स पर जा चुका था इसलिए मैं खुश थी, पर मुझे अब बेचैनी होने लगी, मैं चुप चाप सोफे पर आ बैठी।
पापा किचन से बाहर आए और एक नज़र मुझ पर डाल कर दरवाजा खोलने चले गए, बाहर उनका असिस्टेंट पियूष आया था, पापा उसे अपने साथ अंदर ले आए और वो सोफे पर बैठ गया। उसकी उम्र लगभग 28 की होगी, रंग गोरा और अच्छी खासी बॉडी थी, बंदा हसीन था। वो मुझे देख कर गुड मॉर्निंग बोला और मैं हल्के मुस्कान के साथ गुड मॉर्निंग का जवाब दे कर उसे देखी, फिर नजरें झुकाए अपने बुक्स में ध्यान देने लगी जैसे मैं कितनी इंपोर्टेंट टॉपिक को पढ़ रही थीं।
मैंने इस बीच अपने आप को सही कर लिया था, अब पापा ने अपने असिस्टेंट से कहा” पीयूष तुम कंफर्टेबल फील करो मैं तुम्हारे लिए चाय ले कर आता हूं”
पीयूष ने उतने ही तहज़ीब से जवाब दिया” सर आपको तकल्लुफ करने की जरूरत नहीं है मैं पी कर आया हूं”
मेरे पापा ने हल्की मुस्कान लिए कहा”इसमें तकल्लुफ की क्या बात हैं, तुम बैठो मैं अभी आता हूं” कह कर वो जाने लगे, तभी मैंने तपाक से कहा”पापा आप लोग बैठिए मैं ले कर आती हूं”, कह कर तुरंत सोफे से उठी और किचन में भागी। मुझे थोड़ा अजीब सा लगा रहा था। मैं अपनी awkwardness छुपाने के लिए आ गई। कुछ ही मिनटों में चाय बनाया और ट्रे में सजा कर बाहर निकल आई, मेरा दिल बेहद घबरा रहा था, पर अब तो ओकली में सिर डाल दिया था तो मूसल से क्या डरती, इसलिए चाय का कप पहले पीयूष की तरफ बढ़ाते हुए कहा” चाय”..
दोनों अपने किसी ऑफिस के मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे, मेरी आवाज़ से उन दोनो का ध्यान मेरे ऊपर गया, पीयूष ने वो कप मेरे हाथों से फुर्ती के साथ पकड़ लिया और अगले ही पल कहा”थैंक्यू मिस”
फिर मैंने दूसरा कप पापा की तरफ बढ़ाया, मेरा हांथ बहुत कांप रहा था, और अचानक से वो चाय का कप घबराहट में फिसल गया, और सारा चाय मेरे ऊपर ही गिर गया मैं एकाएक चीख पड़ी, पीयूष भी हड़बड़ा गया और कप टेबल पर रख कर उठा और मेरे ओर अपना हांथ बढ़ा कर मेरे ऊपर गिरी चाय को पोछना लगा, उसका हांथ मेरे हाथों को स्पर्श करने लगा था। पापा भी तेज़ी से उठे और मेरे हांथ को पकड़ कर पूछा”बच्चा ज्यादा जला तो नही??” कह कर वो मुझे अपने साथ वॉशरूम ले आए।
मैं रोने लगी थीं तेज़ जलन की वजह से, पापा ने देखा मेरी शर्ट से स्कर्ट तक चाय गिर गया था। उन्होंने बेसिन में मेरा हांथ रखा और नल चालू कर दिया, ठंडे पानी से मेरी जलन हल्की होने लगी, पर मैं अभी भी रो रही थीं। पापा ने पुचकार कर कहा”मेरा बच्चा, नहीं रोते ठीक हो जाएगा, क्या जरूरत थी तुम्हे ऐसा करने ली, टेबल पर ही रख देती, अब देखो कैसे तुमने हांथ जला लिया” कह कर वो मेरे हाथों को सहलाने लगे थें।
मुझे आराम मिल रहा था, मैं धीरे धीरे शांत हो गई, तो ध्यान दिया मेरी शर्ट खराब हो गई थी। मेरे दिमाग में एक प्लान आया और मैं नाटक करती हुई”पापा चाय सिर्फ मेरे हाथों पर नहीं मेरे बदन पर भी गिर गया है मुझे अंदर जलन हो रही हैं बहुत”, कह कर अपने शर्ट को जानबूझकर खोलने लगी।
पापा ने जब ये देखा तोह उन्होंने कहा”तुम जल्दी से चेंज कर लो”, और वो जाने लगे, मैं नहीं चाहती थीं कि पापा जाए, और ये मौका मेरे हांथ से फिसल जाए, इसलिए तुरंत चीख पड़ी “आह ह ह पापा बहुत जल रहा हैं”
मैने वक्त नहीं गवाया और शर्ट को तुरंत खोल दिया, जिससे मेरा आकर्षक दूधिया जिस्म सामने आ गया, मेरी पुशअप ब्रा पूरी तरह से उनके सामने थी। मैं नाटक जारी रखते हुए पानी को अपने चुचियों पर डालने लगी, जिस वजह से मेरे उभरे हुए 30 इंच के चूचियां उस ब्रा से और उभर कर दिख रही हैं, अब पानी डालने से मेरे निपल्स भी पूरी तरह खड़े हो गए, और मैं लगातार पानी डालने लगी। पापा फटी आंखों से सब कुछ देखने लगे थें। पर आज मैं भी फूल मूड में आ गई थीं और हर हाल में मैं उनको पाना चाहती थी। पापा की दोनों आंखें मेरे बूब्स पर ज्यादा देर टिक नहीं सकी, उन्होंने अपनी नज़रें हटा कर पलटते हुए कहा”तू तू तुम चेंज कर लो मैं ओनिंटमें बाहर रख देता हूं” ये कह कर वो तुरंत चले गए।
मैं पीछे खड़ी गुस्से में उनको देखते रह गई। सारा मजा किरकिरा कर दिया था उन्होंने। कुछ देर बाद मैं एक टॉवेल लपेट कर बाहर आई, तोह देखा रूम में पापा नही थें जिससे मेरा सिर गुस्से से फटने लगा। मैं मुरझाए चेहरे लिए आई, दुबारा स्कूल यूनिफॉर्म पहने और बिना मेडिसिन लगाए हॉल रूम में आई, तो पीयूष और पापा जाने की तैयारी कर रहे थे। मैने चुप चाप बैग उठाया और स्कूल के लिए घर से निकल गई। पापा और पीयूष दोनों गाड़ी में आ बैठे, पर मैं गुस्से में उनकी गाड़ी में न बैठ कर सड़क पर आ गई और ऑटो का इंतजार करने लगी।
पापा को सारी बातें अच्छे से समझ में आ गई थीं लेकिन अब वो क्या करते कोई उपाय नहीं था, इसलिए गाड़ी मेरे आगे रोक कर कहा”चलो बैठो वरना स्कूल के लिए देर हो जायेगी बच्चा”
मैंने मुंह बिगड़ कर कहा” मैं चली जाऊंगी, वैसे भी मुझे अपनी दोस्त के घर पहले जाना हैं, आप जाइए आपको देर हो जायेगी”, ये बोल कर मैं थोड़ा आगे बढ़ा गई।
पीयूष को अलग ही बेचैनी हो रहीं थीं पता नहीं क्यों? इस बार उसने मेरे आगे गाड़ी रोक कर कहा”मिस चलो बैठो हम लोगों को कोई देरी नहीं हो रही”, मैंने गुस्से से उसे देखा, तो उसने मुस्करा दिया।
इधर पापा भी मेरी तरफ आस से देख रहे थे, मैंने उन्हें देखा, फिर पिछली सीट पर बैठ गई। गाड़ी चल पड़ी। कुछ ही मिनटों में पीयूष ने गाड़ी को मेरी फ्रैंड के अपार्टमेंट के सामने रोका, मैं मुंह फुलाए सारे रास्ते बैठी थीं, अब बाहर निकल आई और बिना बाय कहे आगे बढ़ गई।
मेरा मूड का कबाड़ा हो गया था, स्कूल में भी मन नहीं लगा। जब घर आई तो सन्नाटा पसरा हुआ था। मैं अपने कमरे में आई बिना कपड़े खोले पेट के बाल बिस्तर पर लुड़क गई। सुबह से मुझे पापा का रूखा बर्ताव याद आ रहा था, पहले मेरी एक चीख से उनकी जान निकल जाती थीं और आज उन्होंने मुंह फेर दिया, यहां तक मेडिसिन भी खुद से नही लगाया और यही बात मेरे दिल को कौंध रहीं थीं। देखते ही देखते अब रात हो गई, मैं वैसे ही पड़ी थीं। पापा घर भी आ गए थें और खाना भी बन गया था, उन्होंने मुझे काफ़ी आवाज़ें भी लगाई थीं, पर मेरा गुस्सा ऐसा था जो अभी भी शांत नहीं हुआ था। मैं सब कुछ जान कर भी नजरंदाज करती रही एक शब्द तक मुंह से नहीं निकाला।
इधर पापा हार मान कर कमरे में दाख़िल हुए तो मुझे स्कूल के हुलिए में देख कर मेरे करीब आ गए और फिक्र से पूछा”बच्चा क्या हुआ?? तबियत खराब तो नहीं हैं तुम्हारी” ये कह कर उन्होंने अपना हाथ मेरे माथे पर रखा, तो सब नॉर्मल था। वो बगल में बैठ गए और कहा” बच्चा तुमने अभी तक स्कूल ड्रेस नहीं खोली, चलो जाओ जल्दी से बदल लो, खाना नहीं खाना है क्या??
मैने कोई जवाब नहीं दिया और आंखें बंद कर लेटी रही, पापा को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था। वो परेशान हो रहें थें मेरे कुछ न बोलने के कारण, इसलिए उन्होंने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया तोह डर गए। मैं सुबक रही थीं, उन्होंने चौंक कर कहा” क्या हुआ बच्चा??? बोलो ना क्यों रो रहीं हो, स्कूल में कुछ हुआ हैं?? या फिर दोस्त के साथ? कुछ तो बताओ??”
मैने उनका हांथ एकदम से अपने चेहरे से झटक दिया और सुबकते हुए कहा”मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी, आप जाइए यहां से जैसे सुबह छोड़ कर चले गए थे। अब तो मेरा दर्द आपको नजर ही नहीं आता हैं ना तो क्या फर्क पड़ता हैं मैं रोऊं या हंसू, पहले तो इतना जान छिड़कते थे, प्यार करते थे जैसे मैं कोई रूई की गुड़िया थीं, और आज मेरी केयर भी नहीं कि आपने, क्यूं पापा क्यों?? ऐसा क्या हो गया था जो आप छोड़ कर चले गए?? आप मुझसे पहले की तरह बिल्कुल प्यार नही करते??? बदल गए हैं आप??
पापा की आंखें भी हल्की नम सी हो गई थी उन्होंने मेरे चेहरे को थामते हुए फिक्र से कहा”नहीं बच्चा, मैं हमेशा से तुमसे प्यार करता हूं, कोई बदलाव नहीं आया है, वो वक्त सही नही था। अब तुम बड़ी हो रहीं हो, तुम्हें इस तरह मेरे सामने कपड़े नहीं उतरनी चाहिए समझो बच्चा इस बात को, मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है, चलो जल्दी से उठो मैं खाना ले कर आता हूं हम्म”
मैंने एकदम से कहा”नहीं खाना है मुझे कुछ भी, जब आप मेरी केयर नहीं कर सकते तोह ये दिखावा करने की कोई जरूरत नहीं है, जाइए आप”, कह कर मैंने मुंह फेर लिया और वापस सो गई। वहीं पापा ने मुझे संभलने तक का मौका नहीं दिया और यकदम मुझे गोद में उठा लिया और कमरे से निकल गए। मैं हड़बड़ाई सी उनकी बाहों से निकलने के लिए कहा”छोड़िए मुझे, कहीं नहीं जाना और न कुछ खाना हैं समझे आप”, मगर पापा भी बड़ी ज़िद्दी निकले वो वैसे मुझे उठाए सेकंड फ्लोर के टेरेस पर ले आए, यह एक ओपन टेरेस था। सामने लगे एक बड़े से झूले पर बैठा दिया और प्यार से कहा”कहीं जाना नहीं मैं बस यूं गया और यूं आया”।
सच बताऊं दोस्तो मेरा गुस्सा पापा के हांथ लगते ही उड़न छू हो गया था लेकिन मैं उनसे पैंपर और प्यार चहती थी इसलिए नौटंकी जारी रखी, और अब मुझे खुशी हुई कि पापा पहले ही तरह मेरे नाराज़ होने पर टेरेस ले आए, वो अक्सर ऐसा ही करते ही मैं रूठती थीं तब पापा मुझे गोद में उठाए पूरा वक्त घुमाते थें, कहानियां सुनाते प्यार करते, लेकिन आज तो मुझे कहानी सुननी नहीं थीं बनानी थीं, और प्यार भी मगर अलग अंदाज़ से। खैर पापा अब आ गए उनके हांथ में खाने की ट्रे थीं, और आइटम्स भी ज्यादा थें।
वो बगल में बैठ गए फिर एक एक निवाला मेरे मुंह में डालने लगे, और मैं नखरे दिखा कर खाने लगी, मैंने उसी दौरान पापा को अपने हाथों से खिलाया। कुछ देर बाद दोनों का खाना खत्म हुआ, टेरेस पर भी एक बेडरूम और अटैच वॉशरूम था, पापा मुझे गोदी कर ले गए, हांथ धुलवाया और अब वो मुझे घूमने लगे। मैं उनकी गले में बाहें डाले प्यार से पापा को देखने लगी। पापा ने कहा”अब मेरा बच्चा रोएगा तो नहीं, पापा प्यार कर रहें हैं”
मैंने मासूमियत से न में सिर हिलाते हुए कहा” नहीं आपका बच्चा नहीं रोएगा तब तक जब तक पापा प्यार करना न छोड़ ना दे”, पापा ने तुरंत मेरे माथे को चूम लिया और कहा”वो दिन कभी आयेगा नहीं”, वक्त गुजर रहा था, मैं पापा के चेहरे को निहार रही थीं, फिर मैंने उनका चेहरे हाथों हांथ में भरा और उनके होठों को चूम लिया। पापा एक पल के लिए सुन्न रह गए, फिर जब होश संभाला तो मैंने इस दफा फिर से होंठों को चूमा। पापा कुछ बोलते या करते मैं उनके होंठों पर चुम्बन की लड़ी लगती रही, पापा विस्मित होकर देखते रह गए, कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई।
मैं अपनी जीभ को उनके मुंह में डालने की कोशिश करने लगी, पापा सुन्न खड़े थें। मैंने प्यार से कहा”मुझे आपको किस करना हैं, मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं, और हम दोनों को ही इस वक्त प्यार की जरूरत हैं, प्लीज़ ….”, पापा ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था कि मैंने अपना जीभ घुसा दिया, और फ्रेंच किस करने लगी, आती तो थीं नहीं लेकिन पापा को पाने की जिद्द में मैं कर रहीं थीं, कभी उनकी जीभ को चूसती तोह कभी होंठो को, मेरे जिस्म में अजीब सी सनसनी महसूस हो रहीं थीं।
चूत की जगह एक हलचल पैदा हो रहीं थीं। पापा का जिस्म भी शायद गर्म हो रहा था उन्होंने मुझे किस बैक तो नहीं किया पर उनकी हाथों की उंगलियां मेरे कमर पर गहरी हो रहीं थीं जिसे महसूस कर मेरा सीना ऊपर नीचे होने लगा। पापा मुझे टेरेस वाले कमरे में ले आए, और बेड पर लिटा दिया। मैं उनकी आंखों में देखने लगी, हमारी किस ब्रेक हो गई थी। पापा ने मेरे गालों को सहलाते हुए समझने लगे” ये बहुत गलत है बच्चा, ऐसा तुम्हें नहीं करना चाहिए, मैं पापा हूं और तुम मेरी बेटी, पैदा किया है तुम्हें”,
मुझे उनके इस बात से फिर गुस्सा आने लगा, और उनके हाथों को झटक कर कहा”आखिर प्रोब्लम क्या है आपकी जब मैं आपको खुद से प्यार करना चाह रही हूं, तो करने दीजिए मुझे प्यार, ये पापा बेटी का रिश्ता क्यों समझा रहें हैं, सब पता है मुझे इतनी बच्ची नहीं हूं मैं, लेकिन क्या करूं ये दिल नही मान रहा, प्यार हो गया हैं आपसे और मैं आपसे सिर्फ़ प्यार ही मांग रही हूं क्या गलत है इसमें, सबको चाहिए होता हैं प्यार इस दुनिया में, मम्मा नही हैं हमारे बीच, तोह क्या आपको उनकी कमी महसूस नहीं होती???,
क्या आपको अकेलापन महसूस नहीं होता??, रात में जो आप चोरी छिपे रोते हैं, क्या मुझे पता नहीं चलता, जिस्म की आग भी आप पॉर्न मूवी देख कर बुझाते हैं, मुझे आप के साथ सेक्स करना हैं, क्योंकि मैं आपके बिना अब कुछ सोच ही नहीं सकती” कह कर मैं दुबारा उनके होंठों को चूमने लगी।
इस दफा पापा ने कुछ नहीं कहा बल्कि अपने मुंह को खोल दिया और उनकी पकड़ मेरे कमर में सख्त होने लगी। मैं जैसे तैसे किस कर रही थी कि मुझे महसूस हुआ पापा मुझे चूम रहे हैं, उनकी किस मदहोश कर देने वाली थीं। पापा मुझे ले कर बिस्तर पर लेट गए, और मेरे होंठों को खाने लगे, और मैं सिसकी निकलने लगी आह आह आह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह इश्ह
उनका एक हांथ मेरे चूची पर आ गया और दबाने लगा। वहीं दूसरा मेरे चेहरे को पकड़े हुए था। मैं मचल रही थीं, तड़प रही थीं। पापा ने बूब्स को जोरों से दबाना शुरू कर दिया, उनके हथेलियों में मेरा 30 इंच का बूब्स पूरा समा गया। वो धीरे धीरे मेरे शर्ट को खोलने लगे, किस अभी भी चालू थी। पापा ने रुक कर मुझे देखा, मैं शर्म से मुस्कुरा रही थीं, पापा ने मेरे माथे को चूमा फिर मेरा शर्ट जिस्म से अलग कर दिया था, और मेरे पूरे जिस्म को खुमारी में देखने लगे। उन्होंने अपने tshirt को उतार फैंका और फिर मेरे ऊपर झुक गए, वापस किस करने लगे, उनका हांथ मुलायम चूची को ब्रा के ऊपर से ही मसल रहा था, और मैं आह आह आह आह आह आह आह…..की आवाज़ें निकाल रही थीं।
माहौल गर्म हो गया। पापा मेरे चेहरे को गीले होंठों से चूमने लगे, उनका हांथ बूब्स को दबा रहा था, वो पूरे गर्दन से ले कर मेरा सीना चूमने लगे, उनकी नज़र मेरी रसीली चूची पर गई, जो ब्रा में कसी हुई थीं, उन्होंने ब्रा को हल्के के साइड किया, जिससे मेरे गोरे मोटे और पूरी तरह गोल आकार की रसीले चूची दिखी जिसमे उन्होंने अपनी ज़ुबान फिराया, उसके बाद खोल कर देखने लगे, भूरी निपल्स खड़ी हुई थी जो किसी भी उम्र के मर्द जात को बेकबू कर दे,
पापा मदहोश निगाहों से देखते रहे जैसे आज से पहले ऐसी चूचियां देखने मिली न हो, उन्होंने तुरंत ब्रा का हुक पीछे से हांथ बढ़ा कर खोल दिया और आव देखा न ताव सीधे मुंह में भर लिया एक चूची को, वहीं दूसरे को हांथ से मसलने लगे। वो मेरे निप्पल को दांतों से तो कभी होंठों से इस क़दर अंदर बाहर खींच रहे थें, कि मैं पागलों की तरह आहें भरने लगी थीं”आह आह आह ह ह ह. आआआह्हह्ह…..मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
आज पापा शेर बन गए थें और मेरे चूची को पूरी तरह खा रहे थें, फिर दूसरे चूची को भी बारी बारी खाने लगे, निप्पल को चूसने लगे बच्चो के जैसे, मैं मचल उठी” मां आह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह “
पापा बिना रुके मेरी स्कर्ट को खोल दिया और अब लाल रंग की पैंटी मेरे गोरे बदन में उनको खलबली सी मचा गई। पापा ने अपना ट्राउजर सहसा खोल दिया, उनका लन्ड अंडरवियर के ऊपर से तोप की तरह तन गया था। मैं देख कर ही घायल हो गई लेती तोह शायद मार ही जाती।
पापा मेरे पूरे बदन को चूमने और काटने लगे, तुरंत पीछे पलट दिया और पीठ को चूमने लगे, कमरे पर जोरो से दांत गड़ाते हुए कहा” बहुत शौक़ चढ़ा था पापा के लन्ड को चूत में डलवाने का, अब पापा तुम्हारी इच्छा पूरी जरूर करेंगे, बहुत आग मच रही थीं चूत में, जवानी बर्दाश्त नहीं हो रहीं, पापा को ही प्यार के जाल में फंसाया, अपनी मोटी चूचियां दिखाया, और काले काले खड़े निपल्स दिखाया, अब दिखता हूं मेरा बच्चा पापा कितना अच्छा प्यार करते हैं”, ये कह कर उन्होंने मेरी पैंटी को झटके में खींच कर निकाल दिया और मेरे चूतड़ों को चूमने लगे, बीच बीच में काट भी रहे थें। फिर एकदम से पीठ के बल पलट दिया और उनकी आंखें मेरी कोलम गुलाबी चूत पर टिक गई। चूत पानी छोड़ रही जो टपक कर बाहर निकलती हुई दिख रहीं थीं।
पापा ने मेरे दोनों टांगों को ऊपर एक हांथ से उठाया और एक उंगली से चूत से टपकती पानी को छूने लगे, फिर उनको अपनी मुंह में डाल दिया और कहा”बहुत रसीली और मीठी हैं चूत बच्चा,अब पूरा खा जाऊंगा”, ये कह कर वो नीचे झुक गए फिर जीभ से मेरी चूत को चाटने लगे। पापा का ऐसा अंदाज़ मेरा दिल धड़का रहा था। वो चारों ओर जीभ फिराने लगे और मैं आह आह आह आह आह आह आह की मीठी धुन बजने लगी, जिससे पापा बेताब हो कर जोरो से चाटने लगे, उनकी जीभ मेरे चूत की गहरी में जाने लगी, और मैं उस गहरी में खुद को चर्म सुख का आनंद उठाने लगी
पापा लगातार जीभ अंदर बाहर करने लगे, चूत तेज़ी से पानी छोड़ने लगा। पापा अब रुक गए, घुटने के बल आए और अपना अंडरवियर खोल दिया, उनका मोटा सा लन्ड हाय दईया, 6.6 इंच और मोटाई 3 इंच का लग रहा था, टोपे पूरे गुलाबी, मैं मचल उठी, उन्होंने मेरे हांथ में अपने लन्ड को रख दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू दीवानी की तरह उसको कुछ पल देखती रही, और पापा मुझे, फिर मैंने पोर्न स्टार की तरह मुंह में भर लिया और अंदर बाहर करने लगी। पापा मदहोश आहें भरने लगे आईईईई अह आह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह, मैं पहली बार कर रहीं थीं और दिल की धड़कने इतनी बढ़ी हुई थी, कि क्या ही बोलूं, मैंने उनके काले काले गुलाब जामुन को भी मुंह में भर लिया और खूब चूसा, फिर लन्ड भी पागलों जैसा चूस चूस कर ऑर्गेज्म निकल दिया मेरे पापा का।
पापा ने अब मुझे लेटा दिया, और मेरे टांगो को अपने कमर पर लपेट कर लन्ड को चूत पर धीरे धीरे सहलाने लगे, और मेरा जिस्म झनझना गया, फिर लन्ड को अंदर घुसाना चाहा, लेकिन मेरी चूत बहुत ही कोमल और छोटी सी थी, लन्ड चूत की रास्ता पर खड़ा था, चूत गीली हो कर रस टपका रही थी, पापा ने अपनी बीच वाली उंगली को चूत में हल्का सा डाल कर फांक किया और अंदर देखने लगे, वो पागल हो रहे थें, क्योंकि चूत बहुत ही टाइट थी तोह उंगली नहीं गई, पापा दुबारा उंगली धीरे धीरे डालने लगे, पर मैं वर्जिन थीं कहां से जाती वो अंदर गई ही नहीं, तो वो कुछ पल रुक गए,
फिर दुबारा जीभ गुसाया और अब जोरो के खाने लगे, अअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह् करती रही मैं, दो मिनट बाद मेरी एक चूची को मुंह में डाल लिया, और खूब चूसने लगे, लन्ड उन्होंने चूत में लगा रखा था, बस अंदर नहीं घुसाया था, फिर मेरे दूध को चूसते हुए एक जोरदार धक्का लगाया और लन्ड चीर कर अंदर घुस गई साथ ही चीख रात के सन्नाटे में उस कमरे के अंदर गूंज उठी “आह मां अह अह अह अह अह अह अह अह अह अह मर गई…. आईईईई आह्ह्ह्ह्ह.पपापपाअ…..
पापा मेरी चीखें सुनकर मुस्कुराने लगे, उन्होंने मुझे देखा मैं रोने लगी थीं, उन्होंने मेरी आंखों में आए आंसू को साफ़ करते हुए प्यार से कहा”अब पापा से कोई शिकायत नहीं पापा ने अपना प्यार लुटाना शुरू किया हैं, अभी तो रात बाकी है”, ये कह कर अब शुरू हो गए चोदने, उनका एक एक धक्का पागल कर रहा था, मेरी चूत की वो चरण सीमा में टकरा रहा था, जिससे मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, मेरी करहाती हुई चीख गूंजने लगी थीं, और पापा मेरे होंठों को चूम रहे थें। खून अलग चूत से निकला गया था। मैंने दर्द से करहाते हुए कहा”रुक रुक जाइए न दर्द हो रहा है”, पापा रुक गए, झुक कर देखा खून आ रहा था, वो और मुस्कुराने लगे।
मैंने रोते हुए उनको देख कर कहा”आप बहुत जोर से कर रहे है”, पापा ने खून को चादर से ही पोंछ दिया जो चूत से टपक रहा था, फिर दुबारा लन्ड अन्दर रखा और अब कहा”पापा आज नही रुकेंगे तुमने पापा को पागल किया है अपना जिस्म दिखा कर तोह प्यार करने दो”, फिर जोर जोर से चोदने लगे, पीछे ग्लास की दीवार थीं जहां से मुझे हम दोनों की परछाई दिख रहीं थीं, लन्ड कैसे चूत में जा कर बाहर निकल रहा है,
साथ में चिकनी मलाई जैसी पानी चूत से निकल कर लन्ड में लग रहीं थीं। उनका लंबा मोटा लन्ड भी तेज़ी से आता और अंदर जाता मैं “ईश ईश ईईईई आआआअह आआआह्हह ” मुंह से आवाज़ बाहर आती गई। रात भर अलग अलग पोज में चुदाई हुई, थोड़ी देर ठहर ठहर कर…मेरी चूचियां लाल और निपल्स फूल गई चूसने से, चूत अलग दर्द करने लगी, पर पापा नही रुके और मैं उनका पागलपन से भरा प्यार देख कर ही तड़प गई।