हेलो दोस्तों आपका इस प्लेटफॉर्म में स्वागत हैं, आशा करती हूं की आप सब पहले से ज्यादा खैरियत से होंगे, मेरा नाम पूजा हैं और मैं अपनी पिछली पोस्ट की गई कहानी का तीसरा भाग ले कर आ गई हूं।
(बाप बेटी की मीठी और सेक्सी कहानी 3)
बाप की दीवानगी ने मुझे क्या क्या करवा दिया देखते हैं, पिछली पार्ट में आपने पढ़ा होगा, कि मैं पापा के कमरे में आई थीं और ऐसा क्या देख लिया उस कच्ची उम्र में की मेरी आंखें स्तब्ध रह गई। तो चलिए जानते हैं, हम इस सेक्सी कहानी को धीरे धीरे आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि ये महज़ कहानी नहीं मेरा खुद का एक्सपीरियंस हैं।
मेरा जिस्म लरजने लगा, और मेरे दोनों पैर आपस में उलझ गए, मेरा एक हांथ अनायास ही मेरे मोटे मोटे मुलायम बूब्स पर चला गया, पापा अपना लन्ड पकड़े जोरो से अंदर बाहर कर रहे थें, उनके सामने एक पोर्न वीडियो चल रही थीं जो उन्होंने सोप रैक पर रखा हुआ था। पापा अपना हाथ इस क़दर लन्ड पर अंदर बाहर कर रहें थे कि मैं उन्हे देख कर उत्तेजित हो रहीं थीं।
उनका लन्ड करीब छे इंच का था, मोटा और ना ज्यादा काला और ना ही गोरा, पर इतना आकर्षक था कि मेरी नजरें उनकी टोपे पर टिकी हुई थीं, वो पूरी तरह गुलाबी हो गया था, मेरा जिस्म पागल हो रहा था ये सब देख कर, मैं अपने दूध को तेजी से दबाने लगी और दूसरे हांथ से अपनी चूत के दानों को रगड़ने लेगी, मैं बता ही नहीं दोस्तो कैसा महसूस हो रहा था मुझे। पहली बार मैंने अपने बाप का मोटा लम्बा लन्ड देखा था, जब मैं तड़प गई देखकर तो मेरी मम्मी का क्या ही हाल हुआ होगा, जब वो अपनी चूत में लेती थीं।
पापा लगातार अपना लन्ड अन्दर बाहर कर रहें थे और उनके मुंह से सिसकियां निकल रही थीं आह आह आह आह ह ह ह ऊओओओ उम्म्म्म” जैसी अजीब अजीब आवाजें आने लगी थीं, जिससे मैं भी और ज़्यादा बेकाबू होते जा रही थीं, लेकिन तभी उनकी सिसकियां एकाएक बंद हो गई और उनके लन्ड से बहुत सारा मल निकला। जो काफी चिपचिपा और हल्की घी के रंग का था…..
पापा की आंखें बंद थीं इसलिए वो मुझे देख नहीं पा रहें थें कि उनकी अपनी बेटी कैसे अपने बाप को मुठ मारते हुए देख रहीं थीं। पापा का खूबसूरत चेहरे अब सुकून से भर उठा था, उन्होंने अपनी आंखें खोली और शावर ऑन कर दिया फिर नहाने लगे, क्यूंकि पापा पूरा नंग अवस्था में ही बाथरूम में थे।
मुझे लगा अब यहां से जाना चाहिए इससे पहले की उनकी नज़र अपनी मासूम बेटी के करतूत पर पड़े और बेवजह शर्मांदिगी का शिकार, इसलिए मैं दबे पांव वहां से निकल आई।
अपने कमरे में दाखिल होते ही मैं वॉशरूम में घुस गई और नंगी हो गई, चूत पर चिपचिपा पानी भर गया था, मैंने दुबारा उंगली ऊपर ऊपर ही डाली और पापा के लन्ड का ख्याल करते ही चुदाई करने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था, उनका लन्ड देख कर तो मैं बेकरार हुए जा रहीं थीं,
पर अभी बाप को कैसे बुलाती, या उनसे कहती कि मुझे आपकी जरूरत हैं, मुझे चोदो या लन्ड मेरी कोमल चूत में पेल दो। मुझे आपसे चुदाई को महसूस करना हैं, मैं खुद से ही चुदाई करने लगी, तब तक जब तक मुझे संतुष्टि नहीं मिली, मैं अपने दूध को दबाने लगी, भूरे निप्पल के साथ ऐसे खेलने लगी जैसे कोई मर्द अपनी माशूका के साथ करता हैं, फर्क इतना था कि मैं उसे मुंह में नहीं भर सकती थीं, क्योंकि मेरी दूध बहुत ही सुडोल थीं, मैं गर्दन झुका कर भी मुंह तक नहीं ला पा रहीं थीं, मगर
सामने बड़ा सा आईना लगा हुआ जिससे मैं अपने नंग जिस्म को बखूबी देख पा रहीं थीं। अगर उस वक्त कोई भी मर्द मौजूद होता तोह मेरे अंगों को देखर चोदे बैगर रह नहीं पता। मैं पंधरा की उम्र इतनी हसीन हो गई थीं कि कोई कह नहीं सकता था मेरी उम्र इतनी हो रहीं हैं, अब मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़ दिया था, मुझे सुकून ही सुकून मिला और मैं नहा कर बाहर निकली, फिर किसी तरह करवट बदले सो गई।
दूसरे दिन जब मैं स्कूल यूनिफॉर्म में बाहर आई तो हमेशा की तरह पापा सोफे पर बैठे मेरा इंतजार कर रहें थें। हाथों में फोन थीं जिसने न्यूज चल रहीं थीं। मैं आहिस्ता से उनके करीब चले आई, और कहा” गुड मॉर्निंग पापा, आप कैसे हैं???
पापा ने अपना ध्यान फोन की स्क्रीन से हटा कर मुझे देखा फिर अपनी जगह से खड़े हुए, और माथे पर हांथ रख कर पूछे” क्या हुआ तुम्हें, तबियत तो ठीक हैं, क्या बोल रहीं हो, कल ही तो देखा था”
मैं थोड़ी हड़बड़ा गई और अपने शब्दों को सही करते हुए कहा”वो इसलिए पापा क्यूंकि आप कल से ज्यादा हैंडसम लग रहें हैं”
पापा ने फिर से मुझे देखा और अब उन्होंने मेरा हांथ पकड़े नर्वस चेक करने लगे, क्योंकि मैं उटपटांग बातें ही बोल रहीं थीं। मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं ऐसे बेतुखा बातें क्यों बोल रही हूं शायद कल का असर मेरे दिलो दिमाग पर गहरा छाप छोड़ गया था। मैं एकाएक पापा से लिपट गई और उनके पीठ पर मजबूती से बाहें कसते हुए कहा” I love you so much papa!! I really do,, मुझे बस आपकी जरूरत हैं, और कुछ नहीं चाहिए”
पापा ने भी मुझे कस कर थम लिया और मेरी पीठ को आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए कहा” मेरा बच्चा, आई also love you so much” काफी देर तक मैं उनसे लिपटी रहीं, फिर उन्होंने मुझे अपने आप से जुदा किया और कहा” अब चलो बच्चा नाश्ता कर लो, फिर तुम्हें स्कूल जाना हैं, और मुझे अपनी ऑफिस”
नाश्ता करने के बाद उन्होंने मुझे स्कूल छोड़ा और अब मैं स्कूल में दोस्तो के साथ घुल मिल गई। ऐसी ही मेरा दिन गुजर गया, जब मैं शाम को घर वापस लौटी तो हमेशा की तरह पापा नहीं थें, अब मुझे पापा की कमी खलने लगी, मैं बिना स्कूल ड्रेस खोले सोफे पर पसार गई, वक्त बीतता गया, मैं कब सोई इसका अंदाजा मुझे तब लगा जब पापा की मर्दाना आवाज़ और उनके हाथों का प्यारा भरा स्पर्श मेरे सिर को सहलाया।
पापा सोफे पर बैठे मेरे सिर को मोहब्बत से सहला रहें थें, मैंने अचानक से आंखें खोल कर देखा और तुरंत उनसे लिपट कर रुंधे गले से बोलने लगी”मैंने आपको बहुत मिस किया पापा, आप कहां रह गए थे, मुझे कितनी याद आ रहीं थीं आपकी…मुझे खालीपन महसूस हो रहा था…”, पापा ने मेरे सिर को प्यार से थपकी देते हुए कहा”मेरा सोना बच्चा, थोड़ी देर हो गई, आज काम ज्यादा था, अगली दफा ऐसा नहीं होगा प्रोमिस”,
कह कर वो मुझे खुद से अलग करने लगे, पर मैं उनको छोड़ने को तैयार नहीं थीं, और बच्चों की तरह लिपटी जा रहीं थीं। पापा ने अब कोशिश बंद कर दी और वो सहलाते हुए” क्या हुआ मेरा बच्चा, चलो जा कर स्कूल ड्रेस खोलो, कब तब ऐसे ही लिपटी रहोगी, फ्रेश हो जाओ फिर हम साथ मिल कर खाना खाएंगे और ढेर सारी बातें करेंगे पक्का”
मैंने पापा से लिटते हुए मासूमियत से कहा”आप मुझे आज कल प्यार नहीं करते, पहले आप मुझे प्यार करो, मुझे बहुत सारी kisses चाहिए तब ही मैं जाऊंगी”
पापा ने हंसते हुए कहा”ये प्यार ही हो मेरा सोना बच्चा, अब चलो देर हो रहीं हम्मम”
मैं जिद्दी से लिपटी रही और अब भी उनको छोड़ने को राज़ी नहीं हुई, तब पापा ने हर मान कर कहा”अच्छा ठीक हैं, पहले मुझे छोड़ो तो सही”, मैं पापा के गेल से बाहें ढीली कर सीधी बैठ गई और उनको देखने लगी, पापा ने मेरे माथे को प्यार से चूम लिया, फिर मेरे दोनों गालों के हिस्से पर चुम्बन दिया और कहा” अब जल्दी जाओ काफी रात हो गई हैं”
मैं पापा को अपनी बड़ी बड़ी आंखों से गुस्से में देखने लगी, तब पापा ने पूछा “अब क्या हुआ?? जाओ”, मैने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा” पापा आपने मुझे किस नहीं किया, पहले ठीक से करो फिर ….”
अब पापा ने अपने सिर हिलाए हुए कहा” ठीक से किया मेरा बच्चा अब चलो” इतना कह कर वो सोफे से उठने लगे थें। मैने जब ये देखा की पापा मेरी बात न मान कर जाने के लिए उठ रहे हैं, तब मैंने खुद ही पापा की दोनो बाजू पकड़े बैठाया और अपने दोनों पैर ईर्द गिर्द फैलाए उनके जांघो पर आ बैठी और फिर उनके होंठों को चूमने के लिए बढ़ी,
पापा ने तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाया था लेकिन जैसे ही मैं उनके होंठों को छूने को हुई थी, जिसमें फासला बस हाफ इंच का रह गया था कि पापा ने तुरंत मेरी बाजू पकड़े रोक दिया और थोड़ी ऊंची आवाज़ में कहा” ये क्या कर रहीं हो तुम हां, कब से बोल रहा हूं अपने कमरे में जा कर ड्रेस बदलो, और तुम मेरी बातों को ध्यान नहीं दे रहीं हो, ये क्या बचपना हैं?? जाओ जल्दी उठकर…अब कोई मज़ाक बर्दाश्त नहीं करूंगा”
उनकी आवाज़ में गुस्सा महसूस कर मेरी आंखों में अनायास ही आंसू आ गए, मैं तुरंत उनके जांघो से उठी और भागते हुए अपने कमरे में आ गई। उस वक्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा की मैं बता नहीं सकती, जिस उम्र के पड़ाव से मैं गुजर रहीं थीं, अक्सर उस उम्र के लोग छोटी बड़ी बातों से चिढ़ना, नाराज़गी दिखना, बात न मानना स्वाभाविक था, और ये मेरे साथ हो रहा था।
मैं पापा को क्या मानने लगी थीं ये मैं नहीं जानती, पर मुझे उनको पाने की जिद्द थीं, जब से उनका जिस्म मेरी आंखों में समाया तब से मैं दीवानी हो गई थीं। अब आप लोग जो भी कहे मैं उन्हें चाहने लगी थीं और ये चाहत क्या क्या करवाती मुझे इसका इल्म नहीं था।
पापा ने मुझे पहली दफा इतनी कड़क आवाज़ में डांटा था। मैं बाथरूम में घुस आई और दरवाजे से टिक कर बेतहाशा रोने लगी। पापा को भी महसूस हो गया था कि उन्होंने मुझे कुछ ज्यादा ही डांट दिया इसलिए वो भी मेरे जाने के बाद पीछे पीछे चले आए,
और बाथरूम का दरवाजा खटखटाने लगे, मैं रोए जा रही थी, और दरवाजा बजता जा रहा था। काफी देर तक पापा आवाज़ लगाते रहें” पूजा…पूजा,, मेरा बच्चा दरवाज़ा खोलो, पापा से गलती हो गई, अब पापा गुस्सा नहीं करेंगे खोल जल्दी, आओ बाहर, पापा तुमसे बहुत प्यार करते हैं बच्चा”, मैं उस वक्त इतनी जिद्दी बन गई थी कि मैं बाहर नहीं आई, पापा मजबूर होकर चले गए। जब अहसास हुआ कि कमरे से आवाज़ें आनी बंद हो गई है तब मैं चुपके से दरवाजा खोल कर देखी, कमरा में वाकाही सन्नाटा पसरा था, मैंने भी अब ठान लिया की मुझे क्या करना हैं।
रात ढल गई थीं और सुबह की किरण कमरे में उजाला कर रहीं थीं और मैं उन उजालों के दरमियान अपनी की कोशिश में जुट गई थीं, अब भाई पापा को भी दीवाना बनाया था, मैं हार रोज की तरह तैयार हुई थीं लेकिन इस बार कुछ अलग ढंग से, शर्ट के अंदर एक खूबसूरत सी ब्लू रंग की ब्रा पहनी थीं, जो पुशअप ब्रा थीं, और मेरा सुडौल तीस इंच का बूब्स और भी आकर्षक दिखाई दे रहा था, स्कर्ट थोड़े छोटे कर पहन रखी थीं मैंने ताकि मेरी जांघ उनकी नज़रो में आए। अब मैं उनको लुभाने को तैयार थीं।
हेलो दोस्तों आपका इस प्लेटफॉर्म में स्वागत हैं, आशा करती हूं की आप सब पहले से ज्यादा खैरियत से होंगे, मेरा नाम पूजा हैं और मैं अपनी पिछली पोस्ट की गई कहानी का तीसरा भाग ले कर आ गई हूं।
(बाप बेटी की मीठी और सेक्सी कहानी 3)
बाप की दीवानगी ने मुझे क्या क्या करवा दिया देखते हैं, पिछली पार्ट में आपने पढ़ा होगा, कि मैं पापा के कमरे में आई थीं और ऐसा क्या देख लिया उस कच्ची उम्र में की मेरी आंखें स्तब्ध रह गई। तो चलिए जानते हैं, हम इस सेक्सी कहानी को धीरे धीरे आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि ये महज़ कहानी नहीं मेरा खुद का एक्सपीरियंस हैं।
मेरा जिस्म लरजने लगा, और मेरे दोनों पैर आपस में उलझ गए, मेरा एक हांथ अनायास ही मेरे मोटे मोटे मुलायम बूब्स पर चला गया, पापा अपना लन्ड पकड़े जोरो से अंदर बाहर कर रहे थें, उनके सामने एक पोर्न वीडियो चल रही थीं जो उन्होंने सोप रैक पर रखा हुआ था। पापा अपना हाथ इस क़दर लन्ड पर अंदर बाहर कर रहें थे कि मैं उन्हे देख कर उत्तेजित हो रहीं थीं।
उनका लन्ड करीब छे इंच का था, मोटा और ना ज्यादा काला और ना ही गोरा, पर इतना आकर्षक था कि मेरी नजरें उनकी टोपे पर टिकी हुई थीं, वो पूरी तरह गुलाबी हो गया था, मेरा जिस्म पागल हो रहा था ये सब देख कर, मैं अपने दूध को तेजी से दबाने लगी और दूसरे हांथ से अपनी चूत के दानों को रगड़ने लेगी, मैं बता ही नहीं दोस्तो कैसा महसूस हो रहा था मुझे। पहली बार मैंने अपने बाप का मोटा लम्बा लन्ड देखा था, जब मैं तड़प गई देखकर तो मेरी मम्मी का क्या ही हाल हुआ होगा, जब वो अपनी चूत में लेती थीं।
पापा लगातार अपना लन्ड अन्दर बाहर कर रहें थे और उनके मुंह से सिसकियां निकल रही थीं आह आह आह आह ह ह ह ऊओओओ उम्म्म्म” जैसी अजीब अजीब आवाजें आने लगी थीं, जिससे मैं भी और ज़्यादा बेकाबू होते जा रही थीं, लेकिन तभी उनकी सिसकियां एकाएक बंद हो गई और उनके लन्ड से बहुत सारा मल निकला। जो काफी चिपचिपा और हल्की घी के रंग का था…..
पापा की आंखें बंद थीं इसलिए वो मुझे देख नहीं पा रहें थें कि उनकी अपनी बेटी कैसे अपने बाप को मुठ मारते हुए देख रहीं थीं। पापा का खूबसूरत चेहरे अब सुकून से भर उठा था, उन्होंने अपनी आंखें खोली और शावर ऑन कर दिया फिर नहाने लगे, क्यूंकि पापा पूरा नंग अवस्था में ही बाथरूम में थे।
मुझे लगा अब यहां से जाना चाहिए इससे पहले की उनकी नज़र अपनी मासूम बेटी के करतूत पर पड़े और बेवजह शर्मांदिगी का शिकार, इसलिए मैं दबे पांव वहां से निकल आई।
अपने कमरे में दाखिल होते ही मैं वॉशरूम में घुस गई और नंगी हो गई, चूत पर चिपचिपा पानी भर गया था, मैंने दुबारा उंगली ऊपर ऊपर ही डाली और पापा के लन्ड का ख्याल करते ही चुदाई करने लगी, मुझे बहुत मजा आ रहा था, उनका लन्ड देख कर तो मैं बेकरार हुए जा रहीं थीं,
पर अभी बाप को कैसे बुलाती, या उनसे कहती कि मुझे आपकी जरूरत हैं, मुझे चोदो या लन्ड मेरी कोमल चूत में पेल दो। मुझे आपसे चुदाई को महसूस करना हैं, मैं खुद से ही चुदाई करने लगी, तब तक जब तक मुझे संतुष्टि नहीं मिली, मैं अपने दूध को दबाने लगी, भूरे निप्पल के साथ ऐसे खेलने लगी जैसे कोई मर्द अपनी माशूका के साथ करता हैं, फर्क इतना था कि मैं उसे मुंह में नहीं भर सकती थीं, क्योंकि मेरी दूध बहुत ही सुडोल थीं, मैं गर्दन झुका कर भी मुंह तक नहीं ला पा रहीं थीं, मगर
सामने बड़ा सा आईना लगा हुआ जिससे मैं अपने नंग जिस्म को बखूबी देख पा रहीं थीं। अगर उस वक्त कोई भी मर्द मौजूद होता तोह मेरे अंगों को देखर चोदे बैगर रह नहीं पता। मैं पंधरा की उम्र इतनी हसीन हो गई थीं कि कोई कह नहीं सकता था मेरी उम्र इतनी हो रहीं हैं, अब मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़ दिया था, मुझे सुकून ही सुकून मिला और मैं नहा कर बाहर निकली, फिर किसी तरह करवट बदले सो गई।
दूसरे दिन जब मैं स्कूल यूनिफॉर्म में बाहर आई तो हमेशा की तरह पापा सोफे पर बैठे मेरा इंतजार कर रहें थें। हाथों में फोन थीं जिसने न्यूज चल रहीं थीं। मैं आहिस्ता से उनके करीब चले आई, और कहा” गुड मॉर्निंग पापा, आप कैसे हैं???
पापा ने अपना ध्यान फोन की स्क्रीन से हटा कर मुझे देखा फिर अपनी जगह से खड़े हुए, और माथे पर हांथ रख कर पूछे” क्या हुआ तुम्हें, तबियत तो ठीक हैं, क्या बोल रहीं हो, कल ही तो देखा था”
मैं थोड़ी हड़बड़ा गई और अपने शब्दों को सही करते हुए कहा”वो इसलिए पापा क्यूंकि आप कल से ज्यादा हैंडसम लग रहें हैं”
पापा ने फिर से मुझे देखा और अब उन्होंने मेरा हांथ पकड़े नर्वस चेक करने लगे, क्योंकि मैं उटपटांग बातें ही बोल रहीं थीं। मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं ऐसे बेतुखा बातें क्यों बोल रही हूं शायद कल का असर मेरे दिलो दिमाग पर गहरा छाप छोड़ गया था। मैं एकाएक पापा से लिपट गई और उनके पीठ पर मजबूती से बाहें कसते हुए कहा” I love you so much papa!! I really do,, मुझे बस आपकी जरूरत हैं, और कुछ नहीं चाहिए”
पापा ने भी मुझे कस कर थम लिया और मेरी पीठ को आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए कहा” मेरा बच्चा, आई also love you so much” काफी देर तक मैं उनसे लिपटी रहीं, फिर उन्होंने मुझे अपने आप से जुदा किया और कहा “अब चलो बच्चा नाश्ता कर लो, फिर तुम्हें स्कूल जाना हैं, और मुझे अपनी ऑफिस”
नाश्ता करने के बाद उन्होंने मुझे स्कूल छोड़ा और अब मैं स्कूल में दोस्तो के साथ घुल मिल गई। ऐसी ही मेरा दिन गुजर गया, जब मैं शाम को घर वापस लौटी तो हमेशा की तरह पापा नहीं थें, अब मुझे पापा की कमी खलने लगी, मैं बिना स्कूल ड्रेस खोले सोफे पर पसार गई, वक्त बीतता गया, मैं कब सोई इसका अंदाजा मुझे तब लगा जब पापा की मर्दाना आवाज़ और उनके हाथों का प्यारा भरा स्पर्श मेरे सिर को सहलाया।
पापा सोफे पर बैठे मेरे सिर को मोहब्बत से सहला रहें थें, मैंने अचानक से आंखें खोल कर देखा और तुरंत उनसे लिपट कर रुंधे गले से बोलने लगी”मैंने आपको बहुत मिस किया पापा, आप कहां रह गए थे, मुझे कितनी याद आ रहीं थीं आपकी…मुझे खालीपन महसूस हो रहा था…”, पापा ने मेरे सिर को प्यार से थपकी देते हुए कहा”मेरा सोना बच्चा, थोड़ी देर हो गई, आज काम ज्यादा था, अगली दफा ऐसा नहीं होगा प्रोमिस”,
कह कर वो मुझे खुद से अलग करने लगे, पर मैं उनको छोड़ने को तैयार नहीं थीं, और बच्चों की तरह लिपटी जा रहीं थीं। पापा ने अब कोशिश बंद कर दी और वो सहलाते हुए” क्या हुआ मेरा बच्चा, चलो जा कर स्कूल ड्रेस खोलो, कब तब ऐसे ही लिपटी रहोगी, फ्रेश हो जाओ फिर हम साथ मिल कर खाना खाएंगे और ढेर सारी बातें करेंगे पक्का”
मैंने पापा से लिपटे हुए ही मासूमियत से कहा”आप मुझे आज कल प्यार नहीं करते, वक्त नहीं बिताते, मम्मी भी छोड़ कर चली गई और आप भी ऐसे ही कर रहे हो, पहले आप मुझे प्यार करो, मुझे बहुत सारी kisses चाहिए तब जाकर मैं कहीं जाऊंगी”
पापा ने हंसते हुए कहा”ये प्यार ही हो मेरा सोना बच्चा, अब चलो देर हो रहीं हम्मम”
मैं जिद्दी से लिपटी रही और अब भी उनको छोड़ने को राज़ी नहीं हुई, तब पापा ने हर मान कर कहा”अच्छा ठीक हैं, पहले मुझे छोड़ो तो सही”, मैं पापा के गेल से बाहें ढीली कर सीधी बैठ गई और उनको देखने लगी, पापा ने मेरे माथे को प्यार से चूम लिया, फिर मेरे दोनों गालों के हिस्से पर चुम्बन दिया और कहा” अब जल्दी जाओ काफी रात हो गई हैं”
मैं पापा को अपनी बड़ी बड़ी आंखों से गुस्से में देखने लगी, तब पापा ने पूछा “अब क्या हुआ?? जाओ”, मैने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा” पापा आपने मुझे किस नहीं किया, पहले ठीक से करो फिर ….”
अब पापा ने अपने सिर हिलाए हुए कहा” ठीक से किया मेरा बच्चा अब चलो” इतना कह कर वो सोफे से उठने लगे थें। मैने जब ये देखा की पापा मेरी बात न मान कर जाने के लिए उठ रहे हैं, तब मैंने खुद ही पापा की दोनो बाजू पकड़े बैठाया और अपने दोनों पैर ईर्द गिर्द फैलाए उनके जांघो पर आ बैठी और फिर उनके होंठों को चूमने के लिए बढ़ी,
पापा ने तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाया था लेकिन जैसे ही मैं उनके होंठों को छूने को हुई थी, जिसमें फासला बस हाफ इंच का रह गया था कि पापा ने तुरंत मेरी बाजू पकड़े रोक दिया और थोड़ी ऊंची आवाज़ में कहा” ये क्या कर रहीं हो तुम हां, कब से बोल रहा हूं अपने कमरे में जा कर ड्रेस बदलो, और तुम मेरी बातों को ध्यान नहीं दे रहीं हो, ये क्या बचपना हैं?? जाओ जल्दी उठकर…अब कोई मज़ाक बर्दाश्त नहीं करूंगा”
उनकी आवाज़ में गुस्सा महसूस कर मेरी आंखों में अनायास ही आंसू आ गए, मैं तुरंत उनके जांघो से उठी और भागते हुए अपने कमरे में आ गई। उस वक्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा की मैं बता नहीं सकती, जिस उम्र के पड़ाव से मैं गुजर रहीं थीं, अक्सर उस उम्र के लोग छोटी बड़ी बातों से चिढ़ना, नाराज़गी दिखना, बात न मानना स्वाभाविक था, और ये मेरे साथ हो रहा था।
मैं पापा को क्या मानने लगी थीं ये मैं नहीं जानती, पर मुझे उनको पाने की जिद्द थीं, जब से उनका जिस्म मेरी आंखों में समाया तब से मैं दीवानी हो गई थीं। अब आप लोग जो भी कहे मैं उन्हें चाहने लगी थीं और ये चाहत क्या क्या करवाती मुझे इसका इल्म नहीं था।
पापा ने मुझे पहली दफा इतनी कड़क आवाज़ में डांटा था। मैं बाथरूम में घुस आई और दरवाजे से टिक कर बेतहाशा रोने लगी। पापा को भी महसूस हो गया था कि उन्होंने मुझे कुछ ज्यादा ही डांट दिया इसलिए वो भी मेरे जाने के बाद पीछे पीछे चले आए,
और बाथरूम का दरवाजा खटखटाने लगे, मैं रोए जा रही थी, और दरवाजा बजता जा रहा था। काफी देर तक पापा आवाज़ लगाते रहें” पूजा…पूजा,, मेरा बच्चा दरवाज़ा खोलो, पापा से गलती हो गई, अब पापा गुस्सा नहीं करेंगे खोल जल्दी, आओ बाहर, पापा तुमसे बहुत प्यार करते हैं बच्चा”, मैं उस वक्त इतनी जिद्दी बन गई थी कि मैं बाहर नहीं आई, पापा मजबूर होकर चले गए। जब अहसास हुआ कि कमरे से आवाज़ें आनी बंद हो गई है तब मैं चुपके से दरवाजा खोल कर देखी, कमरा में वाकाही सन्नाटा पसरा था, मैंने भी अब ठान लिया की मुझे क्या करना हैं।
रात ढल गई थीं और सुबह की किरण कमरे में उजाला कर रहीं थीं और मैं उन उजालों के दरमियान अपनी की कोशिश में जुट गई थीं, अब भाई पापा को भी दीवाना बनाया था, मैं हार रोज की तरह तैयार हुई थीं लेकिन इस बार कुछ अलग ढंग से, शर्ट के अंदर एक खूबसूरत सी ब्लू रंग की ब्रा पहनी थीं, जो पुशअप ब्रा थीं, और मेरा सुडौल तीस इंच का बूब्स और भी आकर्षक दिखाई दे रहा था, स्कर्ट थोड़े छोटे कर पहन रखी थीं मैंने ताकि मेरी जांघ उनकी नज़रो में आए। अब मैं उनको लुभाने को तैयार थीं।