पिछला भाग पढ़े:- सोनिया भाभी की लेली-3
तभी भाभी नीचे बैठ गई और मेरे लंड को मसलने लगी।
“बहुत ही मस्त तगड़ा हथियार बना रखा है तूने। पता नहीं अभी तो किस-किस की चूत फाड़ेगा तू।”
तभी मैंने भाभी पर पंच मारते हुए कहा “आपकी दीदी की चूत फाड़नी है भाभी।”
तभी भाभी चौंक गई।
“मेरी दीदी की!”
“हां भाभी! आपकी दीदी की। बहुत सेक्सी माल है वो भी। बिल्कुल आपकी तरह।”
“कमीने मेरी दीदी है वो। तू मुझे चोद रहा है वो ही बहुत है। उनके बारे में सोचना भी मत।”
“अरे भाभी मैं तो मज़ाक कर रहा था। आपकी दीदी को मैं कैसे चोद सकता हूं? वो मेरी भी तो दीदी है।”
“हां अब सही कह रहा है तू। मैं तो डर ही गई थी।”
अब भाभी ने मेरे लंड को मुंह में भरा और फिर लपक-लपक कर भाभी मेरा लंड चूसने लगी। अब मैं भाभी के बालों को संभाल रहा था। भाभी अब लंड चूसने में पागल सी हो चुकी थी।
“ओह भाभी आहा मज़ा आ रहा है। ओह भाभी ऐसे ही चूसती जाओ, आह्ह।”
भाभी सका-सक मेरा लंड चूस रही थी। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप बना रही थी। मैं भाभी को उनकी प्यास बुझाने का पूरा मौका दे रहा था।
“ओह भाभी आह्ह बुझा लो अपनी प्यास। बहुत प्यास लग रही हो। आप।”
भाभी बस मेरा लंड चूसती जा रही थी। फिर भाभी ने बहुत देर तक मेरा लंड चूसा। अब मैंने भाभी को खड़ा किया और उन्हें दीवार से सेट कर दिया। अब मैं भाभी को दीवार के सहारे खड़ी करके उनके बोबों को चूस रहा था।
“उन्ह आह्ह उन्ह ओह भाभी।”
भाभी अब मुझे उनके बोबों को खिला रही थी। मैं भी भाभी के बोबों को बुरी तरह से चूस रहा था। भाभी मेरे बालो को सहला रही थी।
“ओह रोहित, आह्ह बहुत मज़ा देता है यार तू, आह्ह सिससस्स।”
अब मैंने भाभी की चूत में उंगलिया घुसा दी और अब मैं भाभी की चूत में उंगलिया करते हुए उनके बोबे चूस रहा था। अब भाभी दर्द से तड़पने लगी।
“ओह आहा सिससस्स आह्ह आईएईई ओह मम्मी आहा सिससस्स आह्ह।”
अब भाभी दर्द से बुरी तरह से झल्ला रही थी। मैं भाभी का फुल मज़ा ले रहा था। मैं उनके बोबों को चूसे जा रहा था।
“ओह मेरे सैया धीरे-धीरे कर। आह्ह दर्द हो रहा है यार। आह्ह ओह सिससस्स।”
फिर मैंने भाभी का बहुत देर तक ऐसे ही मज़ा लिया। अब मैं फिर से भाभी को पलंग के पास ले आया और फिर से भाभी को घोड़ी बनने के कहा। तभी भाभी पलंग को पकड़ कर घोड़ी बन गई।
“यार प्लीज गांड मत मारना।”
“अरे भाभी आप बड़ी डर रही हो। चाची ने ही गांड मरवा ली। जबकि उनकी गांड का छेद तो खुला हुआ भी नहीं था। आपका तो छेद भी खुला हुआ है।”
“अरे यार लेकिन तेरे लंड को देख कर मुझे डर लग रहा है।”
“अब जब आपको गांड ही मरवानी है तो फिर डर किस बात का? जो होना होगा वो हो जायेगा।”
“क्या होगा यार? मैं सब जानती हूं। अभी फाड़ देगा तू मेरी गांड।”
“देखते है क्या होता है?”
अब मैं भाभी की गांड में लंड सेट करने लगा तभी भाभी ने गांड में तेल लगाने के लिए कहा। अब मैं तेल ले आया और भाभी की गांड में तेल लगाने लगा।
“अच्छे से लगाना यार। ज्यादा दर्द नहीं होना चाहिए।”
“हां अच्छे से ही लगा रहा हूं भाभी।”
अब मैंने भाभी की गांड में अच्छे से तेल लगा दिया। अब मैंने भाभी की गांड में लंड सेट किया और फिर को झटके से भाभी की गांड में लंड ठोक दिया। एक ही झटके में मेरा लंड भाभी की गांड के छेद को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया। लंड गांड में घुसते ही भाभी बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।
“आईईईईई मम्मी मर्रर्रर्रर्र गईईईईई। आईईईईई बहुत दर्द हो रहा है यार। जल्दी से लंड बाहर निकाल। मेरी गांड फट जायेगी।”
“अरे भाभी थोड़ी शांति रखो। नहीं फटेगी गांड।”
“फट जायेगी यार।”
अब मैंने लंड बाहर खींचा और फिर से भाभी की गांड में लंड पेल दिया। भाभी फिर से चिल्ला पड़ी। “आईईईई मम्मी आहा आह्ह बहुत दर्द हो रहा है।”
मेरा लंड भाभी की कसी हुई गांड में पूरा घुस चूका था। भाभी दर्द से बुरी तरह से चिल्ला रही थी। अब मैं दे दना दन भाभी की गांड मारने लगा। अब भाभी जी मेरे लंड के तूफान में उड़ने लगी।
“आईईईई आईईईई आह्ह आहा सिससस्स आह्ह आह्ह ओह आह्ह आह्ह ओह आईईईई।”
“हाय क्या मस्त गांड है आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है भाभी।”
मैं फूल स्पीड में भाभी की जम कर गांड रहा था। मेरा लंड भाभी की गांड के परखचे उड़ा रहा था। मुझे भाभी की टाइट गांड मारने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मेरा मोटा तगड़ा लंड भाभी की गांड की कसावट को तोड़ रहा था। मैं जम कर भाभी जी की गांड में लंड पेल रहा था।
“आह आह्ह ओह सिससस्स आईईईई मम्मी मरर्रर्र गईईईई। आह्ह आह्ह आह्ह। धीरे-धीरे चोद यार। आहा मेरी जान निकल रही हैं। बहुत तगड़ा लंड है तेरा।”
“तगड़े लंड से ही मज़ा आता है भाभी।”
“हां लेकिन अभी तेरा लंड मेरी गांड फाड़ रहा है।”
“तो फाड़ने दो भाभी। वैसे भी भैया ने कभी आपकी गांड नहीं फाड़ी होगी।”
तभी भाभी चुप हो गई। अब वो आराम से गांड मरवाने लगी।
“आह आहा सिससस्स आहा ओह सिससस्स आह्ह आईईईई मम्मी। आहा ओह सिससस्स।”
“अब जो हुआ सब ही हुआ। मुझे भी तेरा लंड मिल गया।”
“हां, भाभी।”
अब भाभी उठी और चड्डी पहनने लग गई। फिर भाभी ने ब्रा पहन कर पेटिकोट पहन लिया। अब भाभी बलाऊज और साड़ी पहन कर फिर से तैयार हो गई। अब भाभी कमरे से बाहर जाने लगी।
“अब जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आजा। बहुत टाइम हो गया हमें अंदर।”
“आ रहा हूं भाभी।”
अब मैं भी कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गया। भाभी बरामदे में चाय बना रही थी। तभी भाभी की फुली हुई गांड को देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। अब भाभी ने मुझे चाय दी और फिर हम दोनों चाय पीने लगे। भाभी की आंखो में मुझे अभी भी लंड की भूख नज़र आ रही थी।
“भाभी एक फायर फिर से हो जाये।”
तभी भाभी मुस्कुराने लगी “अभी भी तेरा मन नहीं भरा क्या?”
“हां भाभी। बस एक बार और करवा लो।”
“नहीं यार। तू फिर से मेरी फाड़ देगा।”
“अरे नहीं फाड़ूंगा। पक्का।”
“यार लेकिन अब स्कूल से बच्चे आने वाले है, अब नहीं।”
“अरे अभी तो बच्चो के आने में तो बहुत टाइम बाकी है।”
तभी भाभी की चाय ख़त्म हो गई। अब भाभी के कप रखा “चल आजा, कर ले तेरी इच्छा पूरी।”
तभी मैं भाभी की गांड पर हाथ फेरता हुआ उन्हें कमरे के अन्दर ले गया और भाभी को पलंग पर पटक दिया। अब फिर से भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनके जिस्म को रगड़ने लगा।
भाभी के जिस्म को रगड़ने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने जल्दी से भाभी की चड्डी खोल फेंकी और फटाक से भाभी की चूत में लंड सेट कर दिया। अब मैं भाभी को फिर से ताबड़-तोड़ बजाने लगा। अब भाभी फिर से चीखने चिल्लाने लगी।
“आह्ह आह्ह आईएईई ओह रोहित धीरे-धीरे चोद यारर्रर्र। आईईईई मम्मी। आईईईई आहह।”
मैं भाभी को चोद-चोद कर बुरी तरह से हिला रहा था। भाभी को फिर से उनकी मम्मी याद आने लगी थी। मैं भाभी को जम कर चोद रहा था।
“आईईईई आईईईईई आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आईईईईई बसस्ससस्स।”
तभी कुछ ही झटकों में भाभी का पानी निकल आया। फिर मैंने भाभी को बहुत देर तक बजाया। अब मेरा लंड तृप्त हो चुका था।
अब भाभी उठी और उन्होंने चड्डी पहन ली। अब मैंने भी पजामा पहन लिया।
“पूरा बिस्तर गन्दा कर दिया। अब आज फिर से बिस्तर धोना पड़ेगा।”
“हां भाभी। अब आज तो ये काम आपने ही किया है।”
“और करने पर मजबूर किसने किया है? ज़रा बताना तो? इतना ज़ोर-ज़ोर से चोदा है तो पानी तो खूब सारा ही निकलेगा।”
“हां भाभी। अब आपकी झील में पानी ही खूब भरा था तो पानी तो निकलना ही था।”
“हां-हां।”
अब भाभी बिस्तर धोने लग गई। अब मैं भाभी को चोद कर घर आ गया।
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