मकान मालिक की बीवी बनी मेरी बीवी

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यह बात थोड़े समय पहले की है। मुझे कम्पनी की तरफ से एक नया घर रहने को दिया गया। मैं खुश बहुत था। फिर मैंने उस घर में अपना सामान पहुंचा दिया। अब मैं खुश था कि मेरा किराया बच गया हर महीने का। मुझे दूसरी मंजिल पर घर मिला था। बाद में पता चला उस घर का मालिक भी मेरी ऊपर वाली मंजिल में रहता था। पर मुझे उससे क्या लेना था।

रविवार का दिन था। ऑफिस की छुट्टी थी। मैं आराम से सो कर उठा। मैंने चाय बनाई, और अपनी गैलेरी में आकर चाय का मजा लेने लगा। आज शिमला की तरफ से ठंडी हवा चल रही थी। मैं चाय पीते हुए ठंडी हवा का मजा लेने लगा।

कुछ देर बाद ऊपर से मेरे ऊपर आकर एक नई मॉडल की ब्रा गिरी। ब्रा के ऊपर 34″ का साइज लगा था। ब्रा बहुत ही सेक्सी थी। मैंने ब्रा को साईड में रख दिया। फिर अंदर आकर अपना काम करने लग गया।

दिन के टाइम मेरे दरवाजे की डोर बैल बजी। मैंने दरवाजा खोला, तो देखा एक 28 साल की बला की खुबसूरत औरत खड़ी थी। मैं तो उसको देखते ही रह गया। मेरी नजर उससे हट ही नहीं रही थी।

तभी वो बोली: हैलो मिस्टर, क्या देख रहे हो? कभी औरत नहीं देखी आपने?

मैं मन में ही बोला: देखी तो बहुत है, पर आपके जैसी नहीं।

तभी वो फिर से बोली: क्या हुआ आपको?

मैं: कुछ नहीं, आप बताओ क्या काम है आपको?

वो बोली: शायद हवा के कारण मेरी इनरवियर ऊपर से उड़ कर आपकी गैलेरी में आ गई है। वो ही देखने आई हूं।

मैं बोला: अच्छा तो वो आपकी है।

फिर मैं जल्दी से गैलरी में गया, ओर ब्रा उठा कर ले आया। उसने ब्रा मेरे हाथो से ले ली। उसने मुझे धन्यवाद किया। मेरे मुँह से उसको देखते ही निकल गया-

मैं: बहुत खुबसूरत ब्रा है आपकी।

उसने मुझे एक स्माईल दी। मैंने भी स्माइल देते हुए अपना नाम ‘विशाल’ बताया। वो जाती हुई बोली मैं ‘आरती’।

अब हम दोनों जब भी मिलते, तो बात करने लगे। एक दिन मैंने आरती को पूछा-

मैं: तुम्हारी उम्र तुम्हारे पति की उम्र से बहुत कम है। ऐसा क्यूं?

तो आरती बताने लगी: यह मेरी बड़ी बहन के पति है। मेरी बहन की मृत्यु के बाद मेरे घर वालों ने मेरी शादी इनसे करवा दी।

थोड़े टाइम के बाद हम दोनों खुल कर बात करने लगे। मैं उसकी बहुत तारीफ करता, और आरती खुश होती। एक दिन मुझे काम था, तो मैं ऑफिस नहीं गया था। मैं घर से ही काम कर रहा था।

दिन के टाइम आरती मेरे घर में आ गई। मैंने देखा उसकी आंखे भरी हुई थी। मैंने आरती से पूछा-

मैं: क्या हुआ आरती तुम्हें?

तब आरती मेरे गले से लग कर रोने लगी। आज पहली बार आरती के बूब्स मेरी छाती के साथ लगे, तो मुझे पता नहीं क्या होने लगा।

आरती को मैंने चुप करवाया। फिर उससे पूछा तो आरती बताने लगी उसके पति किसी और के साथ भी रिश्ते में थे।

मैं बोला: एक बात बताओ। तुम्हारे साथ केसा है उनका रिश्ता?

आरती बोली: मैं तो खिलोना हूं उनके लिए। जब दिल करता है तो मन भर लेते हैं। नहीं तो महीनों भर देखते भी नहीं हैं।

मैंने देर ना करते हुए आरती को अपनी बाहों में भर लिया। मैं आरती की गर्दन को चूमने लग गया। आरती पीछे हुई, और मुझे बोली-

आरती: विशाल यह सब गलत है। मैं यह सब नहीं कर सकती हूं।

मैंने आरती को छोड़ दिया। फिर आरती जाने लगी तो मैं बोला-

मैं: आरती एक बार सोच लो। मैं तुम्हे सच्चा प्यार और तुम्हे खुश रख सकता हूं। नहीं तो तुम्हारी मर्जी है।

आरती चली गई। मैं भी अपना ऑफिस का काम करके दिन के समय सो गया। मुझे सोए हुए महसूस हुआ कोई मेरे पास था। मेरी आंख खुली तो देखा आरती मेरे पास बैठी हुई थी। मेरी आंखो में चमक आ गई।

मैंने आरती को अपने ऊपर खींच लिया, और आरती के होंठ चूमने लगा। आरती भी मेरा साथ देने लगी। मैं आरती को चूमते हुए उसकी गांड को मसलने लगा। हम दोनों काफी देर तक एक-दूसरे को चूमते रहे।

फिर हम अलग हुए तो मैंने आरती को पूरा नंगा कर दिया, और खुद भी हो गया । मैंने आरती की चूत पर मुँह लगा दिया, और चाटने लगा। आरती मेरे चूत चाटने से तड़पने लगी । पर मैं चाटता रहा। फिर हम दोनो 69 की स्थिती में आ गए। आरती भी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा।

थोड़ी देर बाद आरती की चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं पूरा पानी चाट कर पी गया। अब मैं आरती के ऊपर आ गया, और लंड को चूत में लगा दिया। मैंने आरती के बूब्स को मुँह में लेकर चूसने लगा, और लंड का एक झटका मारा। लंड चूत चीरता हुआ अंदर जाने लगा। आरती के मुँह से हल्की चीख निकल गई, पर मैं रुका नहीं। मैंने आरती की चुदाई करना जारी रखा।

आरती भी गांड उठा कर लंड चूत में लेने लगी। मैं कभी आरती के होंठ चूमता, तो कभी बुब्स को मुँह में लेकर चूसता। हम दोनों चुदाई का पूरा मजा लेते जा रहे थे। आरती चुदाई के दौरान फिर झड़ गई, पर मैं उसको लगातार चोदे जा रहा था। हम दोनों पसीने से नहा चुके थे। कुछ देर बाद मेरा भी निकलने वाला था, तो मैंने आरती को बोला-

मैं: मेरा निकलने वाला है, कहां निकालूं।

तो आरती बोली: आज मेरी प्यासी चूत को अपने पानी से भर दो।

कुछ झटकों के बाद मैंने अपना पानी आरती की चूत में निकाल दिया। मैं आरती के ऊपर थक कर सो गया। आरती भी मुझे पकड़ कर सो गई। थोड़ी देर के बाद हम दोनों अलग हुए।

आरती बोली: जानू बहुत टाइम हो गया है।

पर मैं नहीं माना, और आरती को चूमने लगा। फिर से मेरा लंड खडा हो गया। मैंने आरती को अपने ऊपर कर लिया। आरती मेरे लंड के ऊपर बैठ गई। अब आरती मेरे लंड के ऊपर-नीचे होने लगी। मैं आरती के बूब्स मुँह में लेकर चूसने लगा।

आरती मेरे पूरे लंड को चूत में अंदर तक ले रही थी। मैं भी नीचे से धक्के मार कर पूरा लंड आरती की चूत में डाल रहा था। आरती चुदाई का पुरा मजा ले रही थी। आरती कभी मुझे चूमती, तो कभी अपने बूब्स मेरे मुँह में डाल कर चुसवाती।

हम दोनों ने आज खुल कर चुदाई की‌। फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए। आरती मेरे ऊपर ही लेट गई। मेरा लंड आरती की चूत के अन्दर ही रहा। कुछ देर बाद आरती मेरे ऊपर से हट गई, और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।

मैंने आरती को फिर से पकड़ कर चूमना शुरु कर दिया। आरती मुझे रोकते हुए बोली-

आरती: जानू अब जाने दो, मेरे पति के आने का टाइम हो गया है।

हम दोनों ने एक किस किया, और अपने कपड़े पहन लिए। आरती बहुत खुश लग रही थी आज, और मैं आरती से ज्यादा खुश था आज एक सेक्सी औरत की चुदाई करने से।

कैसी लगी मेरी और आरती की चुदाई की कहानी? अगली कहानी में बताऊंगा हम दोनों कैसे और कहां चुदाई का मजा करने लगे।

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