पड़ोसन बनी दुल्हन-7

New Hindi Sex Story

यह शायद पहली बार हो रहा था की सेठी साहब किसी सुन्दर औरत को फिजियोथेरपी करते हुए इतने अधिक उत्तेजित हुए हों। पर टीना का उस समय के रूप का दर्शन अद्भुत्त था। ऐसा लगता था जैसे कोई कामपीड़ित स्त्री किसी कामदेव के सामने कामातुर होकर रतिक्रीड़ा की इच्छा से बल खाती हुई उपस्थित हुई हो। पसीने के कारण टीना का ब्लाउज भी गिला हो रहा था।

टीना को देखते ही बरबस सेठी साहब का लण्ड उनकी निक्कर में हलचल करने लगा। बड़ी मुश्किल से उसे सम्हालते हुए सेठी साहब ने टीना को अपनी दोनों बाँहों में उठा लिया और पहले बैडरूम में खुद पलंग पर बैठे और फिर टीना को अपने करीब आगे बिठाया। ऐसा लगता था जैसे सेठी साहब ने टीना को अपनी गोद में बिठाया हो।

मैंने पूछा, “क्या बात करती हो? सेठी साहब ने तुम्हें अपनी गोद में बिठा दिया?”

टीना ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर जैसे कहीं मैं कोई शक तो नहीं कर रहा हूँ ऐसे मेरी और देखा और बोली, “हाँ यार, जब गर्दन और पीठ पर मसाज करना होता है तो ऐसे ही बैठना पड़ता है ना? एकदम गोद में नहीं पर लगभग ऐसे ही जैसे गोद में हूँ। मेरा पिछवाड़ा बिलकुल उनके उसके ऊपर टिका हुआ था।”

मैंने मेरी बीबी को उकसाते हुए पूछा, “तुम्हारा पिछवाड़ा उनके उसके ऊपर टिका था, मतलब?”

टीना ने हवा में हाथ उठाकर अपनी हताशा जताते हुए कहा, “अरे यार, तुम तो मुझसे खुल्लमखुल्ला बुलवा कर ही रहोगे! मेरे कहने का मतलब था की मेरी गाँड़ उनके लण्ड पर टिकी हुई थी।”

मैंने कहा, “ओके, चलो आगे बढ़ो। फिर क्या हुआ?”

टीना ने जारी रखते हुए कहा, “राज इतना दर्द होते हुए भी जब ऐसा हुआ तो मैं वाकई में घबड़ा गई, क्यूंकि मेरे गोद में बैठते ही उनका वह एकदम खड़ा होने लगा।”

मैंने टीना को चिढ़ाने के लिए पूछा, “वह कौन? कौन खड़ा हो गया?”

टीना ने घूंसा मारते हुए चिढ कर कहा, “तुम जानते नहीं क्या खड़ा हो गया? मुझे चिढ़ाओ मत। मैं वैसे ही परेशान हूँ तुम और मत परेशान करो मुझे।”

मैंने कहा, “तो ठीक है, बोलो ना की सेठी साहब का लण्ड खड़ा हो गया? उसमें कौनसी शर्म है? जैसे मेरा लण्ड वैसे उनका लण्ड है। वैसे तो तुम मुझसे एकदम खुल कर बात करती हो।”

टीना ने नजरें चुराते हुए कहा, “तुम कितने गंदे हो! जब तक मैं गन्दी गन्दी बात नहीं करुँगी तुम मेरा पीछा छोड़ोगे नहीं। ठीक है भाई, सेठी साहब का लण्ड खड़ा हो गया और जैसे ही मैं उनकी गोद में बैठी तो उनका लण्ड मेरी गाँड़ की दरार में घुसने लगा। मैंने घाघरा पैंटी बगैरह पहना था उस समय। सेठी साहब ने भी पयजामा पहना था। फिर भी।”

मैंने कहा, “मैंने तो तुम्हें पहले ही बता दिया था की सेठी साहब का लण्ड कोई आम मर्द की तरह नहीं है। इतने कपडे बिच में होती हुए भी अगर सेठी साहब का लण्ड को तुमने अपनी गाँड़ की दरार में महसूस किया तो फिर तुम्हें भी मानना पडेगा की वह लण्ड अच्छा खासा लम्बा और मोटा तो होगा।”

मैंने पूछा, “फिर क्या हुआ?”

टीना ने फिर अपनी नजरें नीची कर कहा, ‘खैर तुम तो जानते हो की जब मुझे यह दर्द होता है तो मेरा क्या हाल होता है। मैंने सेठी साहब से कहा की मुझे चक्कर आ रहे हैं, मेरी पीठ, कमर और साइड पर एकदम शूटिंग पैन हो रहा है और मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ। उन टाइट कपड़ों में मुझे साँस लेने में भी दिक्कत सी लग रही है।”

टीना ने कहा की सेठी साहब ने उसकी बात सुनकर फ़ौरन कहा, “तुम्हें एतराज ना हो तो ब्लाउज और ब्रा निकाल दो। फिर मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहते हैं की अगर तुम्हे दिक्कत है तो मैं अपनी आँखों पर पट्टी बाँध दूंगा।”

जब टीना ने यह सूना तो टीना क्या कहती? टीना ने कहा, “सेठी साहब, कहावत है की डॉक्टर से पेट नहीं छिपाते। अब मैं आपसे क्या छिपाऊं? मुझे आप पर पूरा भरोसा है। अब मैंने अपने आपको आपको सौंप दिया। अब आपको जैसा ठीक लगे ऐसे करो।”

टीना से इजाजत मिलते ही सेठी साहब ने आगे झुक कर पहले टीना के ब्लाउज के बटन खोल दिए। बटन खोलते ही टीना ने स्तनोँ का बोझ कुछ हल्का महसूस किया। टीना ने पीछे मुड़कर सेठी साहब की और देखा और राहत की एक गहरी सांस ली। सेठी साहब ने महसूस किया की टीना पीड़ा से वाकई परेशान थी। सेठी साहब ने फ़ौरन ब्रा का हुक भी खोल दिया। टीना के पके हुए बड़े खड़भुजा जैसे दोनों स्तन सख्त बन्धन से आजाद होते ही बाहर कूद पड़े।

सेठी साहब की नजर बचाते हुए बाजू में रखे तौलिये से टीना ने उन्हें फुर्ती से ढकने की कोशिश की। पर चूँकि तौलिया कुछ दुरी पर रखा हुआ था तो टीना को उसे हासिल करने में कुछ मशक्क्त करनी पड़ी और थोड़ा सा खिसक कर उसे ले कर स्तनोँ को ढ़कने में कुछ समय भी लगा। उस अंतराल में सेठी साहब को टीना के गोरे गोरे अल्लड़ मस्त फुले हुए पर फिर भी सख्ती से खड़े स्तनों के और उसके ऊपर गुब्बारे की बाहर की और खींची हुई चॉकलेटी रंग की निप्पलों के भी दर्शन की अच्छी खासी झांकी तो हो ही गयी।

टीना के गोरे गोरे कोमल से पर सख्त खींचे हुए स्तन देख कर सेठी साहब अपने हाथों को बड़ी ही मुश्किल से उन्हें मसल ने से रोक पाए। स्तन इतने भरे और फुले हुए थे जैसे वह दूध से भरे हुए हों। स्तनों के ऊपर बिच में स्थित उद्द्ण्ड चॉकलेटी रंग की निप्पलेँ जैसे सेठी साहब के हाथों और होठों को चुनौती से रहीं थीं की “आओ मुझे जोर से मसलो और खूब चुसो और काटो।” उन्हें देख कर भी कुछ ना कर पाने के कारण सेठी साहब के मन में जैसे भीषण अन्तर्युद्ध चल रहा था।

एक तो टीना के दो अल्लड़ स्तनोँ को उनकी पूरी छटा में देखना और फिर टीना की गाँड़ का सेठी साहब के लण्ड से रगड़कर छूना सेठी साहब तो जैसे तैसे झेल गए पर सेठी साहब का लण्ड कहाँ से बर्दाश्त कर पाता? जैसे ही सेठी साहब टीना के ऊपर से कंधे पर मसाज करने के लिए झुके तो सेठी साहब के काफी कण्ट्रोल करते हुए भी उनका लण्ड सेठी साहब के कण्ट्रोल के बाहर हो गया। सेठी साहब के ढीले से पयजामे में से फुला हुआ सख्त नारियल के पेड़ की तरह खड़ा सेठी साहब का लण्ड टीना ने अपनी गाँड़ की दरार पर महसूस किया।

अनायास ही टीना ने पीछे मुड़कर देखा तो सेठी साहब का लण्ड सेठी साहब के स्लैक्स में से अपनी लम्बाई दिखाता हुआ कपडे के अंदर लटकता हुआ पयजामे का एक बड़ा तम्बू बनाया हुआ दिख रहा था। अपने पूर्व रस रिसने के कारण सेठी साहब की दो जाँघों के बिच में पयजामे पर लण्ड ने बनाया हुआ तम्बू चिकनाहट से गीला भी हो चुका था।

टीना ने सेठी साहब के तनाव भरे चेहरे को देख कर यह भी महसूस किया की उस समय वह टीना को इस हालत में देख कर बड़ी ही विवशता की विकत स्थिति में से गुजर रहे थे। शर्म और व्याकुलता के मारे टीना बेचारी कुछ बोल नहीं पा रही थी।

सेठी साहब ने महसूस किया की टीना की नजर जो उनके दो जाँघों के बिच में लटके हुए तम्बू पर पड़ी थी तो घभराहट और अटपटाहट के मारे उन्होंने अपनी दोनोँ जाँघों को जोड़ कर कोशिश की टीना उनके लण्ड की वह स्थिति देख ना पाए। वह समझ गए की उनका लण्ड टीना की गाँड़ की दरार को कौंच रहा था और उसे टीना ने महसूस किया था।

वह बोल पड़े, “सॉरी, टीना, वैरी सॉरी यार” कहते हुए वह अचानक उठ खड़े हुए और अपनी निक्कर और उसमें उनका खड़ा हुआ लण्ड एडजस्ट कर ठीक करने में लग गए। टीना ने पीछे मुड़कर सेठी साहब को यह गुत्थमगुत्थी करते हुए देखा। सेठी साहब अपनी निक्कर में लण्ड को कैसे ठीक करते? वह तो जैसे जैसे सेठी साहब कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे और बड़ा होता जा रहा था और सेठी साहब के कण्ट्रोल में नहीं आ रहा था।

तब अचानक सेठी साहब झुंझला कर एकदम दबी आवाज में बोल पड़े, “ससुरा, कुत्ते की औलाद, कण्ट्रोल ही नहीं हो रहा! साले चुपचाप दब के बैठ, इतना उछलता क्यों है?” टीना समझ नहीं पायी की सेठी साहब किसे गालियां निकाल रहे थे। शायद उनसे अपने आपको सम्हाला नहीं जा रहा था। सेठी साहब का हाल देख कर टीना ना चाहते हुए भी मुस्कुरा पड़ी। खैर टीना भी समझती थी की इस हालात में कैसे कोई मर्द अपने आपको सम्हाले?

टीनाको पीठ का इतना ज्यादा दर्द हो रहा था की उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। टीना ने सेठी साहब से कहा, “सेठी साहब छोड़िये उसको। उसकी चिंता मत कीजिये। उसको तो मैं झेल लुंगी, पर यह दर्द नहीं झेला जा रहा। पहले मुझे इस दर्द से फारिग कीजिये प्लीज।”

टीना ने जब यह कहा तब सेठी साहब अपने लण्ड को कण्ट्रोल करने की चिंता से कुछ हद तक निश्चिन्त हुए और अपने काम पर ध्यान देने लगे। सेठी साहब ने टीना को अपने आगे छाती पर लेटने को कहा जिससे वह टीना की पीठ और कन्धों पर अच्छी तरह मसाज कर सके। सेठी साहब के पास कुछ हर्बल तेल था जिसे उन्होंने टीना की पीठ पर काफी मात्रा में गिराया।

बहते हुए तेल की धारा में हाथ डालकर उसे टीना की पूरी पीठ पर हल्के से हथेली में लेकर पूरी पीठ पर फैलाने लगे। धीरे धीरे अपना अंगूठा टीना के कन्धों के पीठ वाले हिस्से पर रख कर अपनी अंगूठे की बाजू वाली उंगली से सही पॉइंट पर दबाकर सेठी साहब एकक्यूप्रेशर की तकनीक से दबाव देने लगे। धीरे धीरे दबाव बढ़ता गया और टीना के मुंह से हलकी सी सिसकारी भी निकल पड़ी।

टीना के हाल भी बड़े ही अजीब थे। एक और सेठी साहब के खड़े सख्त लण्ड का टीना की गाँड़ के ऊपर रगड़ना, दूसरे सेठी साहब के टीना के स्तनों को देख लेना और फिर मालिश करते हुए उनके हाथ अनायास ही कई बार टीना के स्तनोँ को छूने से टीना की सिसकारियां अक्सर कामुकता की कराहट जैसे निकल जाती थीं।

तेल को निचे फ़ैल कर गिरने से रोकने के लिए बार बार सेठी साहब को टीना की छाती तक अपनी हथेली ले जानी पड़ती थी। कई बार इसके कारण सेठी साहब का हाथ टीना के स्तनों को छू लेते थे। सेठी साहब ने डरते हुए पूछा, “टीना, देखो मालिश करते हुए कई बार मेरा हाथ तुम को इधर उधर छू सकता है। प्लीज इसे गलत मत समझना। तुम कहोगे तो मैं हाथों को दूर ही रखूंगा।”

टीना की हालत तो वैसे ही खराब थी। टीना ने दबी हुई आवाज में कहा, “सेठी साहब, आप भी कमाल हो! हाथों को दूर रखोगे तो मालिश कैसे करोगे? मैंने कोई शिकायत की क्या? आप इतने क्यों परेशान हो रहे हो? मैं समझ सकती हूँ। आप चिंता मत करो। आप अपना काम करो। प्लीज बेकार में हिचकिचाओ मत।”

टीना की इस तरह खुली इजाजत मिलने पर सेठी साहब ने राहत की गहरी साँस ली। अब वह कुछ हद तक निश्चिंत हो गए। सेठी साहब ने टीना की पीठ, कंधे और कमर पर अच्छी तरह से मालिस की और ऐसा करते हुए हालांकि सेठी साहब ने टीना के स्तनोँ पर मसाज तो नहीं किया पर कई बार उन्हें टीना के स्तनोँ को छूना पड़ा।

सेठी साहब का लण्ड भी पूरी मसाज के दरम्यान खड़ा का खड़ा ही रहा और अक्सर टीना की गाँड़ की दरार में ठोकर मारता रहा। पर सेठी साहब ने यह ध्यान रखा की उनसे कोई ऐसी हरकत ना हो जिससे टीना को कोई शिकायत का मौक़ा मिले।

कुछ ही देर में टीना का दर्द गायब हो गया। सेठी साहब ने जब टीना के बदन के ऊपर से अपना वजन हटा लिया तो टीना ने एक गहरी राहत की साँस ली। तौलिये को अपनी छाती पर ही रखे हुए टीना सेठी साहब की और मुड़ी और उनकी बाँहों में जा कर उनसे लिपट कर बोली, “सेठी साहब आपने मुझे नयी जिंदगी दे दी। यह दर्द मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया था। आपका बहुत बहुत शुक्रिया। मेरी समझ में नहीं आ रहा की मैं इसका बदला कैसे चुकाऊँगी।”

यह कह कर टीना ने अनायास ही सेठी साहब के गाल पर एक उन्माद पूर्ण चुम्मी की और उठ कर दूसरे कमरे में कपडे पहनने चली गयी। उस समय सेठी साहब किंकर्तव्यमूढ़ बनकर बैठे हुए टीना के बारे में सोचने लगे।

बीबी से यह कहानी सुन कर मेरा लण्ड भी अपना रस रिसने लगा। टीना उसे सहलाती रहती थी और कभी कभी झुक कर उसे चुम भी लेती थी। इस बात को कहते कहते टीना भी काफी उत्तेजक दशा में थी यह मैं अनुभव कर रहा था।

मैंने टीना से पूछा, “क्या तुम्हें पता है की सेठी साहब कुत्ता बगैरह कह कर किसे कोस रहे थे?’

टीना ने मेरी तरफ प्रश्नार्थ भाव में देखा। मैंने कहा, “वह अपने शैतान लण्ड को कोस रहे थे। वह उसे बैठने के लिए जबरदस्ती कर रहे थे।”

टीना अपनी बड़ी बड़ी आँखें फुलाते हुए मेरी और देख कर बोली, “अरे बापरे! ओह….. तुम क्या कह रहे हो? वह अपने लण्ड को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे? मतलब अगर आज सेठी साहब अपने आप पर कण्ट्रोल ना कर पाते तो मेरी तो बजा ही दी होती उन्होंने।”

मैंने कहा, “बिलकुल, मैं तो बड़ा हैरान हूँ। कोई भी मर्द कितना भी संयम रखे, ऐसे मौके पर अपना नियत्रण कर ही नहीं सकता। ऐसा मौक़ा कोई मर्द छोड़ता है? एक खूबसूरत औरत अपने आधे कपडे निकाले तुम्हारे सामने ऐसी लेटी हुई है की तुम्हारा लण्ड उसकी चूत से रगड़ रहा है, बस देर है तो उसका घाघरा ऊपर करने की और पैंटी निकालने की। तो कौन मर्द ऐसी औरत को चुदाई किये बगैर छोड़ेगा?”

पढ़ते रखिये.. कहानी आगे जारी रहेगी!

Visited 49 times, 1 visit(s) today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *