पड़ोसन बनी दुल्हन-35

Group Sex

मैंने सोचा की शायद कहीं ना कहीं तुम सेठी साहब को टीना को और छेड़ने के लिए प्रोत्साहन दे रहे थे। तुम उसी समय मुझ पर लाइन मार रहे थे यह तो हम दोनों जानते ही हैं। मैंने एक और एक दो किये और मैं समझ गयी की तुम टीना को सेठी साहब के करीब जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हो ताकि सेठी साहब तुम्हें मेरे करीब आने से ना रोकें।

मेरे दिमाग में यह आया की अगर ऐसा कुछ है तो जो संजयजी कह रहे थे वह हो सकता था। मैंने संजयजी को कहा की इस बारे में हमने सोचा नहीं है। मैं तो सेठी साहब के टीना से सेक्सुअल सम्बन्ध को स्वीकार कर सकती हूँ। सेठी साहब भी शायद मेरे और राज के सेक्सुअल सम्बन्ध स्वीकार कर सकते हैं। पर यह बात हम दोनों को आपस में बैठ कर करनी पड़ेगी।”

मैं हैरान रह गया की मेरे पीछे इतनी बड़ी योजना बन रही थी और मैं उसमें सिर्फ एक मोहरा बन कर अपना रोल निभा रहा था। खैर मेरी जिज्ञासा मेरी इस शिकायत से ज्यादा मजबूत थी। मैंने सुषमा से ऐसे कहा जैसे एक बच्चा माँ से बड़ी ही रसीली कहानी सुन कर पूछता है। मैंने पूछा, “फिर क्या हुआ?”

सुषमा से अपनी मुस्कान छिपाई नहीं गयी। सुषमा ने मंद मुस्कान के साथ अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “उसी समय टीना मेरे पास आयी सेठी साहब की शिकायत ले कर। उसी समय आपने सेठी साहब को बिना कपडे पहने हुए देखा और उसके बारे में आपने टीना से भी बात की।”

साले साहब ने बिच में दखल देते हुए सुषमा से कहा, “सुषमाजी अब हम आपस में एक हो गए हैं। हमें अब एक दूसरे से कुछ भी छिपाना नहीं है। हमें एक दूसरे से साफ़ साफ़ बात करनी चाहिए। अब आप को जो भी कहना है खुल कर कहिये। यह बिना कपडे की बजाय नंगे देखा यह कहोगे तो बेहतर रहेगा। और सेठी साहब का तगड़ा लण्ड देख कर उसके बारे में जीजू ने टीना दी से बात की यह बोलिये प्लीज।”

सुषमा ने मेरी तरफ देखा और साले साहब से कहा, “हाँ जरूर मैं साफ़ साफ़ बात करुँगी, अगर आप मुझे सुषमाजी कह कर ना बुलाएं।”

साले साहब ने मेरी और देख कर कहा, “ठीक है।”

सुषमा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “हाँ तो मैं कह रही थी की उसी टाइम राज ने सेठी साहब का तगड़ा लण्ड अकस्मात ही देख लिया था और टीना को उसके बारे में बता कर टीना की भी उसे देखने की स्त्री सहज लोलुपता को जागृत कर दिया था। जब टीना ने कहा की मसाज करवाते हुए सेठी साहब का लण्ड टीना के बदन को छू रहा था और मसाज करते हुए सेठी साहब के हाथ टीना के स्तनोँ को छू रहे थे तब टीना को उसकी चूत में बड़ी ही अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी तब राज ने टीना को यह कह दिया की अगर मसाज करते हुए सेठी साहब कोई सेक्सुअल हरकत करते हैं तो वह उन्हें ना रोके।

बल्कि अगर सेठी साहब टीना को चोदना भी चाहें तो टीना अगर उनसे चुदवा भी लेती है तो राज को कोई आपत्ति नहीं होगी बल्कि ख़ुशी होगी। टीना के लिए तो यह बात आग में घी डालने जैसी थी। यह सब बातें टीना ने मुझे बतायीं।”

जब टीना ने मुझे वह सारी बातें बतायीं तब मैंने भी टीना को कहा की मुझे उसके सेठी साहब से चुदवाने से कोई आपत्ति नहीं है। पहले तो टीना मेरी बात को सुन कर दंग रह गयी। मैंने टीना को मेरी बच्चे को लेकर समस्या को विस्तार से बताया।

जब संजू ने मुझे हम दो कपल के बिच में सेक्सुअल संबंधो के बारे में सुझाव दिए तब मुझे लगा की जिस तरह हमारे सम्बन्ध विकसित हो रहे थे तो यह मुमकिन था। टीना से मैंने सारी बातें खुल कर की। मैंने कुछ भी नहीं छिपाया। टीना ने मेरी बात को बड़ी ही सकारात्मक रूप में लिया और मुझे वचन दिया की अगर उसे सेठी साहब से बच्चा हुआ और अगर मुझे राज से बच्चा ना हुआ तो वह अपना बच्चा मुझे गोद में दे देगी।”

“आज मैं जब टीना के उस वचन को याद करती हूँ तो मेरी आँखें नम हो जाती हैं। टीना अपने कहे को निभाएगी उस पर मेरा पूरा विश्वास है क्यूंकि उसका सेठी साहब से चुदवाने का मुख्य कारण भी यही है की उसे सेठी साहब से बच्चा हो जिसे वह जनम दे कर मुझे दे सके।” यह कहते हुए सुषमा का गला भर आया।

सुषमा की आँखों में पानी छलकने लगा। सुषमा ने संजू से लिपट कर कहा, “यह सब तुम्हारे कहने से हुआ की हम आज एक दूसरे से चुदाई करके इतने खुश हैं। सेठी साहब और टीना की चुदाई भी इन्हीं के सुझाव से प्रेरित है। मुझे या टीना को या हम दोनों को अगर बच्चा होगा तो यह संजू के सुझाव के कारण ही होगा। मैं संजू का जितना भी एहसान मानु कम है।”

सुषमा की बात सुन कर हम तीनों की आँखें नम हो गयीं। सुषमा को बच्चे की ललक कितनी तगड़ी थी वह मैं जानता था। साले साहब के कारण ही आज हम आगे चल कर बच्चों को पा सकेंगे यह सोच कर मेर मन में भी साले साहब के लिए जो कड़वाहट थी उसकी जगह एक अजीब से अपनेपन ने ले ली। अब मेरे साले साहब सिर्फ मेरे लिए ही नहीं हम दोनों के लिए बल्कि अगर टीना और सेठी साहब को भी शामिल करें तो हम चारों के लिए एक आशीर्वाद के समान थे।

मैं साले साहब को धन्यवाद देने की बात सोच रहा था पर सुषमा ने मुझे रोकते हुए कहा, “राज, अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है। आज जब संजू मेरे घर आये तो मेर मन में जो तुमने एम.एम.ऍफ़. की बात डाली थी वह उजागर हो गयी। पर मेरी उलझन यह थी की मैं सिर्फ तुम्हारे वीर्य से ही अपना बच्चा चाहती थी। और किसी के वीर्य से नहीं।

संजू मेरा बहुत अच्छा दोस्त है पर मैं उसके वीर्य को भी शामिल नहीं करना चाहती थी। आज वह प्रश्न भी संजू ने हल कर दिया। संजू ने मुझे कहा की उसके वीर्य में बच्चे पैदा करने वाले शुक्राणु है ही नहीं। इसी के कारण तो उनको सारे हथकंडे अपनाने पड़े। उन्होंने वह हथकंडे अपनाये जिसको वह जिंदगी के मोड़ और घुमाव कह रहे हैं।”

सुषमा की बात सुन कर मैंने सुषमा से पूछा, “तो फिर आज रात संजू क्या करेंगे?”

सुषमा ने कहा, “क्या करेंगे मतलब? संजू वह सब करेंगे जो तुम करोगे। मतलब वह मुझे चोदेंगे। संजू कहते हैं बच्चे पैदा नहीं कर सकते इसका मतलब यह नहीं है की वह किसी औरत को संतुष्टि नहीं दे सकते।”

मैंने पूछा, “क्या मतलब? ऐसा कभी होता है क्या?”

मेरे यह सवाल पूछते ही सुषमा ने संजू को इशारा किया। संजू ने फ़ौरन अपना पजामा उतारा और निक्कर हटा कर उसके लण्ड को हमारे सामने प्रस्तुत किया।

संजू का लण्ड देखते ही मेरी बोलती बंद हो गयी। संजू का लण्ड मेरे लण्ड से लंबा और मोटा था. उसके लण्ड पर उसका वीर्य उसकी धमनियों में दौड़ रहा था। सारी चुदाई की बातें सुन कर उसका लण्ड लोहे की छड़ के जैसे सख्त हो गया था।

सुषमा ने संजू के लण्ड को अपने हाथ की हथेली में लिया और उसे सहलाते हुए बोली, “हो गयी संतुष्टि? संजू का लण्ड काटने पर जहर भले ही उगलता ना हो (मतलब बच्चा भले ही पैदा कर पाता ना हो) पर काटने में किसी से भी कम नहीं (मतलब चोदने में ज़रा भी कम नहीं)।”

Visited 17 times, 1 visit(s) today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *