पड़ोसन बनी दुल्हन-32

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सुषमा के कहने पर सुषमा के पाँव को छोड़ सुषमा के हाथों को मैंने चूमना शुरू किया। सुषमा की कलाइयां एकदम चिकनी गोरी चिट्टी थीं। हाथों में शादी का चूड़ा पहने हुए सुषमा की कलाइयां बड़ी ही सेक्सी लग रहीं थीं। मैं सुषमा की कलाइयां चूमते हुए ऊपर की और खिसक ने लगा। जैसे जैसे मैं आगे बढ़ता गया सुषमा के बदन में वैसे वैसे ही कम्पन बढ़ता ही चला गया।

सुषमा नयी नवेली दुल्हन की सुहाग रात मेरे साथ मना रही थी। उस के जहन में था की वह मुझे सुहागरात का तोहफा पेश करेगी। हालांकि पिछली रात को मैं सहमा को चोद चुका था पर वह सब एक़दम बिना कोई तैयारी के सुनियोजित तरीके से नहीं हुआ था। जैसे अनाड़ी लड़के किसी लड़की के साथ मौक़ा पाते ही कोई देख ना ले उस डर के साथ आधे कपडे निकाले आधे बदन पर ही रह गए ऐसे अकेले में आननफानन में चुदाई करते हैं वैसे ही कुछ हद तक हुआ था।

हमने यह तय नहीं किया था की हम कैसे एन्जॉय करेंगे, कैसे प्यार करेंगे। पर उस दूसरी शाम को तो सुषमा ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से बढ़िया सा शादी का जोड़ा और शादी का चूड़ा पहन कर शादी के बाद सुहागरात में जैसे नईनवेली दुल्हन सोने की जरी वाली भारी साडी पहन कर पति का इंतजार कर रही हो वैसे मेरे आने का इंतजार कर रही थी। जब मैंने उसकी कलाइयों से चूमने शुरुआत की तब सुषमा के पुरे बदन कम्पन आना स्वाभाविक था।

मैंने सुषमा की कलाइयों से एक के बाद एक भारी भरखम चूड़ा निकाला। पता नहीं औरतें इतना भारी चूड़ा शादी के समय और उसके फ़ौरन बाद क्यों पहनतीं हैं? इसका जरूर कोई सामाजिक महत्व होगा। सुषमा की गोरी गोरी कलाइयों से बढ़ता हुआ मैं उसकी बगल में जा कर उसकी गर्दन को चूमने लगा।

मेरे हाथ सुषमा की पीठ पर सुषमा के ब्लाउज के बटन पर मंडरा रहे थे। गालों को चूमते हुए नाक और कान को भी चूमता गया। मैंने जान बुझ कर होठों को नहीं छेड़ा। पिछली रात के अनुभव से मैं जानता था की सुषमा को होंठों पर प्रगाढ़ चुम्बन कितना प्यारा था और उसे चूमते ही सुषमा की टांगें अपने आप खुल जातीं थीं।

सुषमा मेरे होँठों से होंठ मिलाने की प्रतीक्षा में बैठी रही पर जब मैंने ऐसा कुछ नहीं किया तब सुषमा ने घूम कर मुझे पकड़ कर मेरे होंठ अपने होँठों पर चिपकाते हुए बोलने लगी, “राज, मेरे होंठ चूमो। मुझे तगड़ी किस करो।” और उसके फ़ौरन बाद सुषमा के मुंह में से सिर्फ, “उम्…. ऍम…..” के अलावा कुछ भी आवाज नहीं निकल रही थी। निकलती भी कैसे? उसके होंठ मेरे होठ से कस कर चिपके हुए थे और मेरी जीभ उसके मुंह में उसके रस का पान कर रही थी। सुषमा मेरे मुंह से लार चूस रही थी और मैं उसके मुंह से लार निगल रहा था।

सुषमा को किस करने का मतलब था उसकी चुदाई का दरवाजा खोल देना। मेरे हाथ जो सुषमा के ब्लाउज के बटन पर मंडरा रहे था जिन्हे अपना बदन इधर उधर हिला कर सुषमा खोलने की इजाजत नहीं दे रही थी अब सुषमा चाहती थी की मैं उन्हें खोलूं और सुषमा के अल्लड़ स्तनोँ को ब्लाउज और ब्रा के बंधन से आजाद करूँ। मैंने बिना समय गँवाए सुषमा के ब्लाउज़ के बटनों को एक के बाद एक खोल दिए और ब्रा के हुक को भी खोल कर सुषमा के फूल रहे मस्त स्तनोँ को बंधन से मुक्ति दिलाई।

जैसे ही मैंने सुषमा के अल्लड़ स्तनोँ को अपने हाथों में लिए तो मैंने सुषमा की निप्पलों को फूल कर एकदम सख्त आकर लेकर सुषमा के एरोला के बिच में शिखर की तरह उन्नत मस्तक रखे हुए पाया जो सुषमा की चुदाई करवाने की इच्छा प्रगट कर रहा था। स्त्रियों के स्तनोँ के हालात से उसकी चुदाई करवाने के इच्छा का अनुमान लगाया जा सकता है।

अगर आपने स्त्रियों की चूँचियों पर कब्जा कर लिया और उसे दक्षता से सहलाने और मसलने की कला का इस्तेमाल किया तो समझो आपने उस स्त्रीको चुदाई के लिए आधी तो राजी कर लिया। होंठों पर चुम्बन स्त्रियों की कामुकता की सीढ़ी का पहला सोपान है। स्त्रियों को कामुक करने की सीढ़ी का दुसरा सोपान है स्त्रियों के स्तनोँ को काबिलियत से मसलना, चूमना काटना इत्यादि।

अब सुषमा के लिए चुदाई के लिए मुझे पूरी तरह स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था। अब सुषमा मुझे रंग में लाना चाहती थी। मैथुन या सम्भोग या चुदाई कहो यह स्त्री पुरुषों का एक दूर को तैयार कर उनको ज्यादा से ज्यादा आनंद देने का खेल है।

इस खेल में अगर पुरुष या स्त्री सिर्फ अपने ही आनंद को अनुभव कर दूसरे की कामुकता को नजरअंदाज करते हैं तो वह चुदाई अधूरी है या यूँ कहिये की एक तरफा है। उसे स्वार्थपूर्ण भी कह सकते हैं। अक्सर इस बात को पुरुष नहीं समझते। खुद झड़ जाने के बाद पुरुष लोग चुदाई को समाप्त कर देते हैं।

यह आपके पार्टनर के प्रति अन्याय है। पुरुष को चाहिए की स्त्री भी सम्भोग की क्रिया का पूरा आनंद उठाये। स्त्रियों के झड़ने प्रक्रिया अत्यंत ही जटिल अथवा पेचीदा है। कई बार जब मन चाहे पुरुष से वह चुदवातीं हैं तो उस सम्भोग में वह बार बार झड़ती रहतीं हैं। पर अपने पति से अथवा कोई ज्यादा पसंद ना हो ऐसे पुरुष से चुदवाते समय वह आसानी से झड़ती नहीं।

सुषमा ने मेरी टांगों के बिच में हाथ डाल कर मुझे इंगित किया की मैं भी खुद को निर्वस्त्र करूँ। सुषमा ने मेरे पाजामे के नाड़े को खोलने की कोशिश की। मैंने फ़ौरन नाड़े का छोर खिंच गाँठ खोल दी। सुषमा ने खुद निक्कर को निचे धकेल कर मेरे लण्ड को आजाद किया। सुषमा के इंतजार में मेरा लण्ड पहले से ही सख्त और खड़ा तैयार था।

सुषमा ने उसे हाथ में लेकर प्यार से मेरी और देखा। मेरा लण्ड काफी मोटा है। खैर उसका मुकाबला सेठी साहब के लण्ड से ना किया जाए। सेठी साहब का लण्ड एक अलग ही बात है। सुषमा ने कुछ देर मेरे लण्ड को अपने हथेलियों में प्यार से सहलाया और फिर फर्श पर बैठ कर उसे अपने मुंह में लिया।

सुषमा लण्ड चूसने की कला में बड़ी ही माहिर है। अगर चुसवाने वाला ध्यान ना रखे तो लंड चुसवाते हुए वह सुषमा के मुंह में ही झड़ सकता है। मुझे इस बात का भलीभांति पता था। मैं जानता था की सुषमा को कहाँ रोकना है।

सुषमा की एक खासियत थी। वह लण्ड को भी मुंह से इतना बढ़िया तरीके से प्यार देती थी की अच्छे से अच्छा लण्ड चुसवाते हुए अपने आपको झड़ ने से रोक नहीं पाए। मैंने सुषमा को पीछे हटाया और अपना लण्ड सुषमा के मुंह से निकाला। मैंने सुषमा को गोल गोल घुमाते हुए उस की भारीभरखम साडी को कुछ मशक्क्त के बाद निकाला। सुषमा घाघरे में इतनी खूबसूरत लग रही थी। पर मैं भी कोई चित्रकार तो था नहीं जो सुषमा का चित्र बना रहा हो। मुझे तो सुषमा को नंगी कर उसे खूब चोदना था।

घाघरा भी मेरे लक्ष्य में बाधा रूप था। घाघरे का नाडा खोल मैंने सुषमा को घाघरे के आवरण से भी मुक्त किया। मेरी रानी सुषमा मेरे हर क्रिया कलाप को बिना कुछ बोले मुस्कुराती हुई कुछ लज्जा से देखती ही रही। अब एक छोटी पैंटी ही सुषमा के प्यार के छिद्र को ढके हुए थी। उसे सुषमा ने ही मीचे खिसका कर हटा दिया और मेरी प्यारी मेरी नज़रों के सामने ही नंगी खड़ी हो गयी। जब एक औरत एकदम फिट रहते हुए अपनी कमर और पेट को नियंत्रण में रखती है तो उसका नग्न रूप देखते ही बनता है।

सुषमा ने अपने आपको सुनियोजित तरीके से फिट रखा हुआ था। खाने पिने में संयम और शरीर की कैलोरीज को जलाते रहने से आप अपने बदन को फिट रख सकते हो। हालांकि यह मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं। सुषमा यह जानती थी की शादी के बाद अक्सर औरतें मोटी हो जातीं हैं। सुषमा ने इसके लिए जो भी जरुरी नियम थे उनका सख्ती से पालन कर अपने आप को फिट रखा हुआ था।

हालांकि सुषमा उस समय चुदवाने के लिए शत प्रतिशत तैयार थी फिर भी मुझे सुषमा को चुदवाने के लिए मुझे मिन्नतें करे उस हाल में लाना था। मैंने पहले लिखा था की स्त्रियों को चुदवाने के लिए राजी करने के सौपान में दुसरा सौपान था उनकी चूँचियों को मसलना और चूमना काटना इत्यादि। स्त्रियों को चुदवाने के लिए तैयार करने का तीसरा सौपान है उनकी चूत को चुमना और चाटना। पुरुषों की जीभ का चूत के स्पर्श से अच्छी से अच्छी स्त्रियां मचल जातीं हैं। अगर पुरुष चूमने में माहिर हो तो फिर कहना ही क्या? स्त्रियां पुरुष की जीभ को चूमने से पागल सी हो जातीं हैं।

चौथा और आखिरी सौपान है स्त्रियों की चूत की पंखुड़ियों को सहलाते हुए उनकी चूत का उंगली चोदन। स्त्रियों की चूत को चाटने के बाद स्त्रियां जब चुदवाने के लिए बेताब हो जातीं हैं तब उनकी चुदासी के हालात को एक और ऊंचाई पर ले जाने का काम उंगली चोदन से होता है। जब पुरुष यहां तक पहुँच जाता है तब स्त्री अपने आप ही पुरुष को हाथ जोड़ कर चोदने के लिए बिनती करती है।

पर यहां ध्यान रहे की यह काम अत्यंत नाजुक और कोमलता से करना चाहिए। हमारे हाथों के नाख़ून अक्सर स्त्रियों के चूत की कोमल त्वचा को आहत कर सकते हैं। उंगली चोदन के पहले अपने नाखूनों को काटकर ऐसा कर दीजिये की हमारे पार्टनर को कोई तकलीफ ना हो।

जब मैंने सुषमा को ऊपर बतायी ही सारी प्रक्रियाएं करने के बाद सुषमा को उँगलियों से चोदना शुरू किया तो वह मेरी मिन्नतें करने लगी की मैं फ़ौरन मेरा लण्ड उसकी चूत में डालकर उसे चोदूँ। मैं कौनसा औपचारिक आमंत्रण का इंतजार कर रहा था? मेरा लण्ड तो सुषमा की चूत में दाखिल हो कर उसे चोदने के लिए वैसे ही बेताब था। सुषमा के मिन्नतें करने पर मैंने सुषमा को पलंग पर ठीक से लिटाया और उसकी टांगों को कंधे पर चढ़ा कर मेरा लण्ड सुषमा की चूत पर रखा।

सुषमा की चूत वैसे ही अपने स्त्री रस से गीली हो चुकी थी। मेरा लण्ड भी कभी से सुषमा की चूत में जाने के इंतजार में अपना रस रिस रहा था। मेरे लण्ड के इर्दगिर्द काफी चिकनाहट जमा थी जिससे बाहर से कोई अतिरिक्त चिकनाहट से उसे चिकना करने की जरुरत नहीं थी।

फिर भी सुषमा ने मेरे लण्ड को अपनी चूत की पंखुड़ियों की सतह पर कुछ देर रगड़ा ताकि वह उसकी चूत में प्रवेश करने में ज्यादा कष्टदायी ना हो। यह एक स्त्री सुलभ सावधानी के रूप में था। फिर जब सुषमा ने मेरे लण्ड को अपनी चूत में दाखिल करने का मुझे इशारा किया तब मैंने मेरे लण्ड को एक धक्का मार कर सुषमा की चूत में प्रवेश दिलाया। कुछ रुकावट जरूर हुई उसके कारण शायद सुषमा को कुछ परेशानी जरूर हुई होगी। पर सुषमा के मुंह से कोई आवाज नहीं निकली।

मैं अपने ही लण्ड को सुषमा की चूत में दाखिल होने की प्रक्रिया देखना चाहता था। मैंने कभी एक लण्ड को चूत में दाखिल होते हुए और चूत को चोदते हुए नहीं देखा था। मेरा बड़ा मन कर रहा था की कभी मैं भी सुषमा को या टीना को किसी और लण्ड से चुद्ता हुआ देखूं।

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