कामिनी की प्यास-5

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दोस्तों आपको इस कहानी के पिछले पार्ट्स बहुत पसंद आये उसके लिये बहुत धन्यवाद।

अब आगे की कहानी-

कहते हैं जब ऊपर वाला देता है तो छपर फाड़ के देता है, ऐसा ही सन्दीप के साथ हुआ। राकेश को ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए लखनऊ जाना पड़ा।

उसके जाते ही सन्दीप के मज़े आ गया, अब जब उसका और कामिनि का मन करता वो चुदाई करते। रात को भी सन्दीप कामिनी के रूम में ही सोता था। फिर एक दिन दोनो ने 3 बार चुदाई कर ली थी। रात को जब दोनो खाना खाकर और किचन का काम निपटाकर बैडरूम में आ गए।

बैडरूम में आते ही सन्दीप कामिनी को किस करने लगा।

कामिनी- आज मैं थक गई हूँ मुझे सोने दे। वैसे भी आज पहले ही तीन बार तू चोद चुका है।

सन्दीप- अरे मामी करने दो ना।

कामिनी – नहीं। कल कर लेना।

सन्दीप मन मार कर रह गया। अब दोनों बिस्तर पर लेट गए। कामिनी को बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई। सन्दीप करवटे बदल रहा था।

रात को जब सन्दीप से रहा नहीं गया तो वो कामिनी के स्तन नाइटी के ऊपर से दबाने लगा। उसने नाइटी कामिनि के घुटनो से ऊपर तक सरका दी। उसका मन कामिनी के चुचे चुसने का कर रहा था मगर उसने ब्रा भी पहनी हुई थी, और नाइटी सामने से पूरी बंद दी। नाइटी की ज़िप पीठ की तरफ थी।

फिर वो कामिनी के पाँव की तरफ आया और उसने अपना सर नाइटी के अंदर घुसा दिया। अब वो कामिनी की चूत की खुश्बू लेने लगा।

कामिनी ने महरूम रंग की पेंटी पहनी हुई थी।

सन्दीप अब पेंटी के ऊपर से जीभ फिराने लगा। फिर उसने पेंटी को थोड़ा सरकाया और चूत को चाटने लगा। कामिनी नींद में थी और उसे महसूस होने लगा कि कोई उसकी चूत चाट रहा है। मगर वो थककर गहरी नींद में थी तो उसे लग रहा था कि वो कोई सपना देख रही है।

अब सन्दीप का लन्ड पूरा सख्त हो गया था। अब उसने धीरे से पेंटी को नीचे सरकाया और पूरा उतार दिया। अब वो कामिनी की गोरी गोरी जांघों को चूमने और चाटने लगा। कामिनी भी नींद में उतेजित हो रही थी। वो नींद में आह आह कर रही थी।

सन्दीप अपने कपड़े उतारकर पूरा नगा हो गया। वो फिर से एक बार कामिनी की चूत को चाटने लगा जो कि अब गीली होने लगी थी।

कामिनी (नींद में) – आह आह सतीश चाट मेरी चूत ।

फिर कामिनी के मुँह से सतीश का नाम सुनकर सन्दीप को झटका लगा, पर उसे और भी जोश आ गया। अब उसने अपने लन्ड का सूपड़ा, कामिनी की चूत पर टिकाया और धीरे धीरे अंदर डालने लगा। थोड़ी देर में उसका पूरा लन्ड चूत के अंदर था।

कामिनी- आह आह सतीश तूने पूरा लन्ड अंदर डाल दिया। चोद अब मत तड़पा जोर जोर से चोद मुझे।

सन्दीप को ये सुनकर और जोश आ गया। और वो लन्ड अंदर बाहर करने लगा। उसके जोर से झटके देने की वजह से अब कामिनी की नींद भी खुल गई।

सन्दीप को अपने ऊपर देखकर वो चौंक गई। थोड़ी ही देर में वो पूरा माज़रा समझ गई। उसे डर भी लगा कहीं सन्दीप ने उसके मुँह से सतीश का नाम तो नहीं सुना।

वो सन्दीप का साथ देने लगी।

कामिनी- आह सन्दीप तुझे जरा भी सब्र नहीं, आज चोद चोद के इस चूत को फाड़ देगा क्या।

तेरा लन्ड थकता नही क्या?

सन्दीप – मामी तुम इतनी मस्त हो कि मेरा बस चले तो मैं तुम्हे कपड़े ही पहनने ना दूँ। दिन रात नगा रखूँ । जब मन करे तुम्हारी चूत में अपना लन्ड डाल दूँ।

कामिनी- इतना चोदेगा तो इस चूत का हाल क्या होगा, ये तो फट ही जाएगी। आह आह हाँ चोद मुझे , आह अंदर तक डाल लन्ड को।

सन्दीप- हाँ मामी तुम्हारी चूत गज़ब है।

कामिनी – मुझे चोदते वक़्त भूल जा मैं तेरी मामी हूँ, तू करके बोल मुझे , मुझे और मजा आता है।

सन्दीप- मामी तुझे इतना मज़ा दूँगा कि तू दूसरा लन्ड भूल जाएगी। तेरी इस गर्म चूत की प्यास मैं ही शांत करूँगा।

(दूसरे लन्ड की बात सन्दीप ने जान बूझकर बोली थी, वो चाहता तो सतीश के बारे में अभी पूछ सकता था। मगर उसने इसलिए नहीं पूछा कि कहीं माहौल बदल ना जाये औऱ चुदाई रह जाये)

कामिनी- हाँ बुझा मेरी चूत की प्यास। निकाल दे अपना सारा माल मेरी चूत में। आह आह चोद मुझे चोद अपनी मामी को चोद।

सन्दीप- मामी तूझे मैं बहुत मज़ा दूँगा , तुझे अंदर तक चोद दूँगा , आह मामी तेरे दुदु कितने मस्त है।

सन्दीप चुदाई करते हुए स्तन भी मसलने लगा।

कामिनी और सन्दीप के बदन पर पसीने की बूंदे निकलने लगी। कामिनी की नंगी दूधिया जाँघे कमाल लग रही थी। कामिनी ने अपनी नाईटी और ब्रा भी उतार दी। अब सन्दीप चुदाई करते हुए चूचियों को भी चुसने लगा।

सन्दीप- मामी आह मामी मेरा निकलने वाला है। आह आह।

कामिनी- निकाल दे मेरी चूत में आह आह मुझे भी होने वाला है।

अब कामिनी की चूत में दर्द होने लगा ।

आह मामी आह मामी हो रहा हो रहा मामी बोलते हुए सन्दीप के लन्ड से पिचकारी कामिनी की चूत में निकलने लगी। गर्म माल का स्पर्श मिलते ही कामिनी का बदन भी काँपने लगा और चूत ने पानी छोड़ दिया।

सन्दीप कामिनी के ऊपर ढेर हो गया। वो दोनों एक दूसरे से चिपके रहे और दोनों को नींद आ गई।

सुबह कामिनी उठ गई और अपने काम निपटाने लगी। सन्दीप सोता ही रहा। जब वो साढ़े आठ बजे तक भी नहीं उठा तो कामिनी उसके लिए चाय लेके गई।

कामिनी- उठ सन्दीप , चाय पी ले।

सन्दीप अलसाते हुए उठा और चाय का कप लिया। कामिनी फिर से अपने काम मे लग गई।

फिर सन्दीप ने चाय पी और नित्यकर्म निपटाकर कामिनी के पास गया।

सन्दीप- मामी एक बात पूछुं?

कामिनी- पूछ

सन्दीप- रात को मैं जब आपकी चूत चाट रहा था। तो आप सतीश भैया का नाम क्यों ले रही थी।

कामिनी को जिसका डर था वही हुआ फिर भिव सम्भलते हुए बोली।

कामिनी- कब मुझे याद नहीं। नींद में कोई कुछ भी बोलता है। तू जा घर मे तेल खत्म है। एक लीटर तेल लेके आ।

फिर सन्दीप ने कुछ नहीं पूछा , उसने सोचा फिर कभी मौका मिलेगा तो इस बात का पता लगाएगा। और वो तेल लेने चला गया।

इधर कामिनी उस रात के बार मे सोचने लगी जब उसे सतीश ने पहली बार चोदा था।

सतीश राकेश और कामिनी का इकलौता लड़का था। जी हाँ दोस्तो सतीश कामिनी का बेटा था।

दोस्तो ये कहानी जब कि है तब उस समय माँ बेटे के बारे में ऐसा कोई नहीं सोच सकता। मुझे भी इस बात का यकीन नहीं आता अगर कोई मुझे ये बोलता। मगर ये मैंने खुद अपनी आँखों से देखा था इसलिए यहाँ लिख रहा हूँ।

दूसरा कई दोस्त सोच रहे होंगें की कामिनी कैसी चुड़कड औरत है जो सबसे चुदवाती रहती है। तो मैं आपको बता दूँ कामिनी कोई एक औरत नहीं है। मैंने छ अलग अलग घटनाओं को एक कहानी में पिरोया है। 36 साल से 44 साल की औरतों को एक कहानी का रूप दिया है। अब आपको बोर ना करते हुए कहानी पर आता हूँ।

सतीश कामिनी और राकेश का इकलौता बेटा था। वो सन्दीप से दो साल बड़ा था। सतीश पढ़ने में काफी होशियार था। मगर उसके साथ एक समस्या थी वो घर से बाहर किसी से बात नहीं करता था। उसका एक ही दोस्त था आज भी है नीरज, यानि कि मैं। बारहवीं के बाद हम दोनों ने इनज़रियिंग की मगर अलग अलग कॉलेज से।

तो बारहवी के बाद सतीश इनज़रियिंग के लिये देहरादून चला गया। वो होस्टल में रहता था। फिर जब उसका दूसरा साल पूरा हो गया था वो गर्मियों की छुट्टी में घर आया था मैं भी उसी समय घर आया हुआ था।

इस बीच कामिनी की ज़िंदगी मे कुछ बदल गया था। राकेश अब बिस्तर पर उसे सन्तुष्ट नहीं कर पाता था। वैसे तो पहले भी राकेश ज्यादा कुछ नही करता था थोड़ी चूचियों को मसलता और फिर सीधा चूत में लन्ड डाल देता। मग़र पहले वो 10-15 मिनट धक्के लगाता था, जिससे कामिनी का भी पानी निकल जाता था। वो इसमें ही खुश थी।

मग़र अब राकेश अंदर लन्ड डालते ही झड़ जाता और कामिनी कसमसा कर रह जाती। वो सोचती इससे अच्छा वो कुछ करे ही ना , राकेश उसकी चूत की प्यास बढ़ाकर बिन बुझये ही छोड़ देता।वो अपनी किस्मत को कोसती।

कभी वो बाहर कमरे में आकर रोती भी थी। लेकिन फिर अपने आप को संभाल भी लेती। उसने इसे ही अपनी नियति मान लिया था। मग़र नियति को तो कुछ और ही मंजूर था। कामिनी की चूत को वो चोदने वाला था जो उसी चूत से निकला था।

दोस्तों मगर ये सब कैसे हुआ , क्या हुआ जो एक माँ अपने बेटे से चुद गई? इन सब सवालों का जवाब लेकर मैं आऊँगा। आपसे एक निवेदन है मेरी पिछली सारी कहानी पढ़े , आपको फिर मेरी आगे आने वाली कहानियों में और मज़ा आएगा।

आपके सुझाव और प्रोत्साहन आमंत्रित हैं। जो लोग मुझे निरन्तर मेल करते हैं उनका बहुत बहुत धन्यवाद।

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