हैलो दोस्तों, आज मैं आपको मेरे घर में काम करने वाली एक बाई की कहानी बताता हूं।
हमारे घर में मेरी पत्नी ने एक कामवाली रख ली थी। मैं संडे को ही उससे मिलता था, क्योंकि वो घर पर काम करने ग्यारह बजे के करीब आती थी। सिर्फ संडे को घर पर रहने पर ही मैं उसे देख पाता था। वो थी तो थोड़ी गेहूंआ रंग की, लेकिन उसके नयन-नक्श और बदन एक दम गज़ब था। उसमें इतनी तगड़ी सेक्स अपील थी कि उसकी निगाहें पड़ते ही आदमी का लंड खड़ा हो जाता था।
एक बार मेरी पत्नी रिया अपने मायके कुछ दिनों के लिए गई हुई थी। तो वो रेखा को बोल गई कि वो सुबह मेरे ऑफिस जाने से पहले कुछ दिनों तक काम कर जाए। उसने रिया के जाने के बाद सुबह आठ बजे आना शुरू कर दिया। मैं रेडी हो जाता था तब तक वो मेरा नाश्ता और लंच बना देती थी।
एक दिन मुझे सीधा किसी मीटिंग के लिए लेट जाना था, तो मैं थोड़ी देर नहा कर बिना ड्रेस के सोफे पर अपनी बनियान और अंडर वियर में आ कर बैठ गया।
वो बोली: साहब आज ऑफिस नहीं जा रहे क्या?
मैं बोला: थोड़ी देर से जाऊंगा।
वो बोली: नाश्ता लगा दूं क्या?
मैं बोला: थोड़ा रुको, बाकी काम निपटा कर लगा देना।
वो अपने बाकी के काम में बिजी हो गई। मैं फोन में बिजी हो गया, पर बीच-बीच में जब वो काम कर रही थी, मैं उसे देख भी रहा था। पोंछा लगाते टाइम ब्लाउज में से उसके बूब्स दिखायी दे रहे थे। उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट घुटनों तक उठा कर मोड़ कर वापस साड़ी में डाल रखे थे। वो भी मुझे देख रही थी।
मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा था, जो उसे साफ दिखाई दे रहा था। उसकी निगाहें बार-बार मेरे लंड पर ही पड़ रही थी। मेरी आंखे उसकी चूची पर ही थी। उसको ये सब पता था।
वो बाकी काम निपटा कर मुझे बोली: साहब अब नाश्ता लगा दूं?
लेकिन उसकी आंखे अभी भी मेरे लंड पर ही थी। मैंने अनजान बनते हुए अंडरवियर में हाथ डाल लिया, और लंड को हिलाने लगा।
वो ये सब देख कर मुस्कुराने लगी और बोली: क्या साहब, दीदी जी की याद आ रही है क्या?
मैं बोला: हां रेखा, पांच दिन से मन नहीं लग रहा, ना मेरा ना इसका (उसको लंड दिखाते हुए बोला)।
वो एक बार शरमा गई और बोली: हां साहब, ये तो है। दीदी जी है ही ऐसी। अगर आप बोले तो हम कुछ करें?
ये सुनते ही लंड और टाइट हो गया। मैंने उसे बाहर ही रखा और अपने हाथों से सहलाने लगा।
वो पास आ कर बोली: लाओ इसे मुझे दो। आज इसकी और आपकी सेवा की जाए, कुछ मुझे भी धर्म मिलेगा।
उसने मेरा लंड अपने हाथों में लिया, और हिलाने लगी। वो सोफे के पास जमीन पर बैठ कर मेरे लंड की मालिश करने लगी। लंड एक-दम टाइट हो गया था। उसमें से थोड़ा रस निकलने लगा। तभी रेखा ने उसे अपनी अपनी जीभ से छुआ। मेरे शरीर में सनसनी मच गई। मैंने अपना अंडरवियर पूरा उतारा, और लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो लंड को पकड़ कर चूसने लगी।
मैं बार-बार लंड को उसके मुंह से बाहर निकालता और अंदर करता। कभी-कभी उसके सर को पकड़ कर जोर से लंड पर दबाने लगा। फिर धीरे-धीरे उसकी चूंची भी भींचने लगा। वो एक-दम गरम हो गई, और अब मैं जोर-जोर से उसके मुंह को चोदे जा रहा था। बीस मिनट बाद मेरा वीर्य उसके मुंह में ही छूट गया। वो पूरा मॉल पी गई, और अपनी जीभ से पूरे लंड को साफ कर दिया।
अब वो खड़ी हो गई और बोली: साहब अब तो आपको सुकून मिल गया। अब तो नाश्ता लगा कर ले आऊं?
वो रसोई में गई और नाश्ता बनाने लगी।
मैं बोला: रेखा दो कप चाय भी बना लेना।
वो बोली: साहब कोई आ रहा है क्या?
मैं बोला: नहीं, एक तुम अपने लिए बना लेना। दोनों साथ में चाय पियेंगे।
वो पांच मिनट में नाश्ता और दो कप चाय ले आई। नाश्ता और चाय टेबल पर रख कर अपनी चाय लेकर वो जमीन में ही बैठ गई। मैंने उसे अपने हाथ से उठाया, और सोफे पर बिठाया।
वो बोली: साहब ये क्या कर रहे है? मैं यही ठीक हूं।
लेकिन मेरे जबरदस्ती करने पर वो मान कर सोफे पर बैठ गई। हम चाय पीते हुए बातें करने लगे। बातों में उसने बताया उसके पति की पिछले साल एक एक्सीडेंट में मौत हो चुकी थी। प्रेग्नेंसी में कुछ प्राब्लम की वजह से उसको अपना बच्चा गिराना पड़ा थी। घर में उसके सास ससुर थे, जिनको वो ही कमा कर खिलाती थी। सास-ससुर की पेंशन आती थी। कुछ घरों में काम करके दस हजार रूपए कमा लेती थी, और घर का गुजारा कर लेती थी।
वो बोली: साहब ऐसे ही जिंदगी गुजर रही है।
वो रोने लगी, मैंने उसे चुप कराया। अब मैं मीटिंग के लिए निकल गया। दूसरे दिन रेखा उसी टाइम सुबह आती बहुत खुश लग रही थी।
मैं बोला: क्या बात है, आज बहुत खुश हो?
वो बोली: आज मेरा मन आपकी पूरी सेवा करने का है।
उसे चहकते हुए देख कर मुस्कुरा कर मैं बोला: तुम तो बड़ी शैतान हो।
वो बोली: साहब एक साल हो गया मुझे तड़पते हुए। मेरी जवानी पर किसी ने तरस नहीं खाया है।
वो बोली: एक दिन मैंने आपको और दीदी जी को प्यार करते हुए देख लिया था। आप यही खड़े हो कर प्यार कर रहे थे। उस दिन आपने दीदी जी की नाइटी पूरी उपर उठा रखी थी। वो नाइटी के नीचे बिल्कुल नंगी थी। आप उन्हें चूम रहे थे। आपका गेट लॉक नहीं था। उस दिन मैं थोड़ा जल्दी आ गई थी। जब मैंने हल्के से गेट खोला तो आप दोनों लगे थे। मेरे मन में उसी दिन से आग लगी हुई है। आज आप इसे मिटा दीजिए।
मैं ऑफिस के लिए रेडी हो चुका था। मैंने तुरंत ऑफिस ना जाने के लिए एक मेल ऑफिस डाल दिया। अब वो सोफे पर मेरे साथ बैठ गई। आज वो एक-दम नहा-धोकर सीधे मेरे ही घर आ गई थी। शायद उसने आज पक्का मूड चुदाने का बना रखा था। एक नया सूट और उसके नीचे एक टाइट सी पजामी डाल रखी थी। एक-दम अप्सरा लग रही थी।
मैंने पूछा: आज किसी और के यहां काम नहीं करना क्या?
वो बोली: साहब आज सिर्फ आपकी ड्यूटी पर रहूंगी और किसी के लिए कोई टाइम नहीं है।
वो सोफे पर बैठते ही बोली: साहब आज आप अपने हाथ से मेरे कपड़े उतारेंगे और मैं अपने हाथ से आपके।
उसने वही सोफे पर उठ कर मेरी शर्ट उतारी। मेरी बनियान उपर करके निकाल दी। मैं उपर से नंगा हो गया। अब उसने मेरी बेल्ट और पैंट का बटन और जिप खोल कर पैंट को उतार कर सोफे पर फैंक दिया। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। मेरा लंड पूरी तरह से तन चुका था। उसने उपर से ही हाथ फेरा, और उपर से ही एक किस किया।
इतनी देर में मेरे मोबाइल पर रिया का कॉल आया। रिया डेली मेरे ऑफिस पहुंचने के टाइम पर कॉल कर लेती है। मैंने फोन उठाया और वो बोली कैसे हो।
मैं बोला: यार आज कुछ तबियत ठीक नहीं है, ऑफिस नहीं गया।
और छींक आने का बहाना बनाया।
वो बोली: तुम्हे सर्दी हो गई लगता है। कुछ चाय का काढ़ा बना कर पी लेना। मैं रेखा को बोल दूंगी, वो बना देगी।
मैंने बोला: वो आई थी, मैं सो रहा था। उसको बाद में आने बोला है। जब आएगी तो मैं बनवा लूंगा।
हमारी बात हुई। कॉल कट हुआ। लेकिन तब तक रेखा तो मेरे लंड से खेले जा रही थी। उसने मेरी अंडर वियर में अपना हाथ डाल रखा था।
मैंने बोला: रुको।
इतनी देर में रिया का कॉल रेखा के फोन पर आ गया। उसने संभलते हुए फोन उठाया तो रिया उसको बोली: आज तुम्हारे साहब की तबियत ठीक नहीं है। तुम घर जा कर उन्हें ढंग से खाना खिला देना। शायद उनको सर्दी हो गई है, काढ़ा पिला देना। और मैं उनको तुम्हारे हवाले करके गई थी, अच्छे से ध्यान रखना। कुछ हुआ तो आ कर तुम्हारी अच्छे से खबर लूंगी।
रेखा बोली: दीदी जी आप टेंशन ना ले। मैं अभी जा रही हूं। आज पूरा दिन साहब का खयाल रखूंगी।
कॉल कट होते ही मैंने रेखा को अपनी गोद में उठाया, और उसे अपने बेडरूम में ले गया, और बेड पर पटक दिया। उसका सूट उपर करके उसकी पजामी निकल दी उसने नीचे पैंटी नहीं डाल रखी थी। उसकी चूत मेरे सामने थी एक-दम चिकनी बिना बालों की।
वो बोली: आज ही साफ की है आपके लिए।
मैंने उसे बेड पर ही बिठाया, और उसका सूट निकाल दिया। उसने व्हाइट कलर की ब्रा तीस नंबर की थी पहन रखी थी। अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा में थी। मैं उस पर टूट पड़ा, उसको चूमने लगा, और उसके बूब को दबाने लगा। मैं उसके उपर ही पड़ गया और उसे बुरी तरह से खाने लगा। वो भी मुझ पर बुरी तरह से टूट पड़ी, और दनादन मुझे चूसने लगी। इस बीच मैंने उसकी ब्रा उतार कर फेंक दी। हम दोनो नंगे बेड पर करीब बीस मिनट ऐसे ही पागलों की तरह चुम्मा-चाटी करते रहे।
फिर हम 69 की पोजिशन में आ गए। वो मेरे उपर थी, और मेरे लंड को चूसने लगी और अपनी चूत को मेरे मुंह पर लगा दिया। हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे को चूस रहे थे इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी।
मैंने उसे बोला: आज भी मुंह में ही टपका दूं या चूत में डलवाओगी?
वो बोली: साहब ये बहुत टाइम से प्यासी है। आज पहले इसका उद्धार कर दो।
अब वो सीधी हो गई और बेड पर लेट गई। मैंने उसके दोनों पैर खोले और चूत पर अपना लंड सेट कर दिया। फिर एक झटका मारा तो वो चिल्ला उठी। उसकी चूत एक-दम टाइट थी, लंड बड़ी मुश्किल से गया। पर एक और झटके में उसकी चिल्लाने की परवाह ना करके पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत मे पूरा घुसा दिया। फिर मैं उसको जोर-जोर से चोदने लगा।
अब वो अपने कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। करीब पंद्रह मिनट उसकी जोरदार चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। उसने मेरा गरम लावा पूरी तरह अपने अंदर जाता हुआ महसूस किया। कुछ देर हम ऐसे ही नंगे पड़े रहे।
वो बोली: साहब आज आपने मेरी बहुत टाइम से चुदने की इच्छा पूरी कर दी है।
उसने और मैंने शाम तीम बजे तक कई बार सेक्स किया। अब उसने अपने कपड़े पहने और जाने लगी। मैंने उसे एक हजार रुपए दिए। वो लेने के लिए मना करने लगी। लेकिन मैंने उसे जबरदस्ती दे दिए। वो बहुत खुश हो गई, और वो चली गई। मैं कुछ देर से गया।
ऐसे ही हमने रिया के आने तक डेली सेक्स किया। फिर रेखा को अपने ऑफिस में मेड के काम पर लगा दिया। वहा उसे पच्चीस हजार सैलरी मिलने लगी। वो बहुत मेहनत से काम करती है। कभी-कभी रिया के ना रहने पर मेरी सेवा भी कर जाती है।
तो दोस्तों ये थी मेरी कामवाली के साथ की चुदाई। आपको कैसी लगी बताना जरूर।