यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है, इस कहानी के सभी पात्र, स्थान, घटनाये पूरी तरह से काल्पनिक है, और असल जिंदगी से इस कहानी का कोई संबंध नही है।
दोस्तों यह कहानी पटियाला के संधू खानदान की कहानी है। उस संधू खानदान में चार लोग रहते है। जिसमें सबसे बड़ा और घर का मुखिया अनुराग संधू है। अनुराग की उम्र बयालीस साल की है। अनुराग बड़ा ही अच्छा इंसान है। अनुराग पटियाला शहर की कॉर्पोरेशन ऑफिस में बड़ी ही अच्छी पोस्ट पर नौकरी करता है। देखने में अनुराग काफी हैंडसम और गुडलुकिंग है।
हमारी इस कहानी का दूसरा और सबसे खास किरदार है संध्या संधू का। संध्या की उम्र उनतीस साल की है, और संध्या अपने पति अनुराग की दूसरी बीवी है। संध्या पढ़ी लिखी और कामों में काफी तेज है।
संध्या दिखने में काफी खूबसूरत और सुंदर है। संध्या को देखकर कोई नहीं कह सकता कि संध्या उनतीस साल की है। उसको देख कर यही लगता है कि मानो संध्या ने अभी-अभी ही अपनी जवानी में अपना पहला कदम रखा हो।
संध्या के जिस्म का रंग एक-दम दूध सा गोरा है, और संध्या को अपने जिस्म की फिटनेस का बहुत ही ध्यान रहता है। संध्या अपने जिस्म को फिट रखने के लिये हर रोज़ कसरत करती है। संध्या की ऊंचाई पांच फुट तीन इंच की है। संध्या अपने घर में कट स्लीव वाला कुर्ता पहनती है, और कुर्ते के साथ लेगिंग्स पहनती है।
संध्या के कुर्ते और लेगिंग्स में संध्या का जवान जिस्म काफी खूबसूरत और कामुक दिखता है।
उसकी बड़ी-बड़ी गांड और मोटी-मोटी चूचियां देख कर संध्या की कॉलोनी में हर किसी मर्द का लंड झट से खड़ा हो जाता था।
संध्या की मटकती गांड को देखने के लिए संध्या की कॉलोनी के लड़के उसके घर के बाहर खड़े रहते थे। कॉलोनी के सब लड़के संध्या की गांड के मटकने का लम्हा याद करके फिर संध्या की गांड को सोच कर अपने लंड का पानी निकालते थे।
संध्या के जिस्म के बारे में चर्चा संध्या की पूरी कॉलोनी में थी। उसकी सोयायटी के सभी कुँवारे लड़के और शादी शुदा मर्दों की नजर हमेशा संध्या के जिस्म के ऊपर ही लगी रहती थी।
संध्या की कॉलोनी का हर कोई मर्द संध्या को अपने लंड के ऊपर बिठाना चाहता था, और संध्या की चूत में कॉलोनी का हर मर्द अपना लंड डालकर संध्या की चुदाई करना चाहता था। लेकिन संध्या उसकी कॉलोनी के किसी भी मर्द को घास तक नहीं डालती थी।
हमारी कहानी का तीसरा किरदार समीर संधू है। समीर अनुराग का बड़ा लड़का है, और संध्या का सौतेला बेटा है। समीर की उमर पच्चीस साल की है, और समीर एक जवान लड़का है। समीर कालेज में ग्रेजुएशन कर रहा है। समीर का अपने कॉलेज में ये पहला साल है। समीर की ऊंचाई छह फुट है, और कालेज में समीर का नाम बड़े-बड़े गैंग और गुन्डों में है।
अनुराग संधू की एक लड़की भी थी, जिसका नाम आकांक्षा था। आकांक्षा अठारह साल की एक पंजाबी पटोला लड़की थी। आकांक्षा ने अभी अभी जवानी में अपना पहला कदमा रखा था। वो 18 साल की हो चुकी थी, और अपनी सौतेली मम्मी संध्या से भी सौ गुना सुंदर और खूबसूरत थी, या आप ऐसे भी कह सकते हो कि आकांक्षा कोई आसमान से आई एक परी थी।
आकांक्षा के जिस्म का रंग ऐसा था, कि अगर आकांक्षा को कोई हाथ भी लगा दे तो आकांक्षा का जिस्म गंदा हो जाता था।
आकांक्षा की ऊंचाई पांच फुट सात इंच की थी, और जैसे ही आकांक्षा की उम्र अठारह साल की हुई, तो आकांक्षा के जिस्म में जवानी के बदलाव आने शुरू हो गये थे।
अब आकांक्षा के बूब्स की चूचियों का साइज बत्तीस इंच हो गया था। उसकी चूचियों को हर लड़का और हर मर्द खाने वाली नजरों से देखते थे। आकांक्षा की कमर की बात करें तो आकांक्षा की कमर एक-दम पतली सी थी, मानों की जैसे आकांक्षा किसी शराब की बोतल हो।
और आकांक्षा की गांड अब चौतीस इंच की हो गई थी। आकांक्षा के चूतड़ मोटे-मोटे और छोटे थे, पर आकांक्षा के चूतड़ बड़े मस्त और साफ नजर आते थे। जब भी आकांक्षा चलती थी, तो आकांक्षा के दोनों चूतड़ किसी रबर की बाल की तरह हिलते थे। आकांक्षा की चूचियों के बाद लोगों की नजरें सीधे आकांक्षा की गांड पर ही आती थी। आकांक्षा की गांड को देख कर लोगों के मुँह में पानी आ जाता था। आकांक्षा में नखरा बहुत था, उसके नखरों की तो क्या बात करें।
आकांक्षा की एक-एक बात आकांक्षा की अदाएं और आकांक्षा के नखरों से भरी हुई थी। आकांक्षा की ये अदाएं और नखरों ने हर लड़कों की जान निकाल कर रखी थी। वैसे भी आकांक्षा नखरे क्यों ना करे? इतनी आकांक्षा खूबसूरत थी, और ऊपर से आकांक्षा का मक्खन सा जिस्म, तो आकांक्षा का नखरे करना तो बनता ही था।
आकांक्षा बाहरवी क्लास में पढ़ती थी, लेकिन आकांक्षा दिखने में अपनी उमर से बहुत बड़ी लगती थी। आकांक्षा के पीछे आकांक्षा की क्लास के सारे लड़के लगे हुए थे, क्लास के काफी सारे लड़कों ने आकांक्षा के भाई समीर से इस चक्कर में अपनी दोस्ती भी करवाई थी।
लेकिन सच बात तो यह थी, कि आकांक्षा को देख कर क्लास के सारे लड़कों की रातों की नींद ही गायब हो जाती थी।
आकांक्षा अपने घर में तो पटियाला सलवार सूट पहनती थी, जिसमें आकांक्षा एक सेक्सी पंजाबी मुटियार लगती थी। लेकिन आकांक्षा ने अभी तक किसी लड़के को अपना बायफ्रेंड नहीं बनाया था, क्योंकी आकांक्षा बहुत ही सीधी, एक संस्कारी, और समझदार लड़की थी।
अनुराग संधू का पूरा परिवार पटियाला शहर में एक बड़ी हवेली में रहता था। उस हवेली में अनुराग ने काम करने के लिए एक नौकरानी भी रखी हुई थी। उस नौकरानी का नाम शबनम था, शबनम पैंतीस साल की एक औरत थी।
शबनम का बाकी परिवार भी गांव में ही रहता था। शबनम शहर में पैसे कमाने के लिए आई थी, दिखने में शबनम भी ठीक ठाक सी ही थी।
शबनम का रंग सांवला था और शबनम का मस्त जिस्म। शबनम की शायद चूचियां छत्तीस की होंगी। दोस्तों नोकरानियों का जिस्म घर के काम कर कर के टाइट हो जाता है, इसलिए शबनम एक बहुत मस्त जिस्म की मालकिन थी।
यह तो हुई कहानी के किरदारों की बात। अब हम शुरू करेंगे संध्या भाभी की इस कड़ी की कहानी, जिसका नाम है, चढ़ती जवानी।
दोस्तो, इस एपिसोड में इतना ही, अगली कहानी अगले एपिसोड में।